"अष्टाङ्गहृदयम्": अवतरणों में अंतर

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छो अष्टांग हृदयम् एक संग्रह ग्रंथ है।
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अष्टांगहृदय में आयुर्वेद के सम्पूर्ण विषय- कायचिकित्सा, शल्यचिकित्सा, शालाक्य आदि आठों अंगों का वर्णन है। उन्होंने अपने ग्रन्थ के विषय में स्वयं ही कहा है कि, यह ग्रन्थ शरीर रूपी आयुर्वेद के हृदय के समान है। जैसे- शरीर में हृदय की प्रधानता है, उसी प्रकार आयुर्वेद वाङ्मय में अष्टांगहृदय, [[हृदय]] के समान है। अपनी विशेषताओं के कारण यह ग्रन्थ अत्यन्त लोकप्रिय हुआ।
 
[https://bamsclasses.com/ashtaangahrday/ अष्टांगहृदय] एक संग्रह - ग्रन्थ है । इसमें चरक , सुश्रुत , अष्टांगसंग्रह के तथा अन्य अनेक प्राचीन आयुर्वेदीय ग्रन्थों से उद्धरण लिये गये हैं ।
वाग्भट ने अपने विवेक से अनेक प्रसंगोचित विषयों का प्रस्तुत ग्रन्थ में समावेश किया है , यही कारण अद्यतन बन पड़ा है ।
 
 
==संरचना==