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द्रव्य परिभाषा तथा वर्गीकरण टैग: Reverted यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
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द्रव्य
आचार्य चरक मतेन
यत्राश्रिताः कर्मगुणाः कारणं समवायि यत् ।
तद् द्रव्यम् । (च.सू. 1.50)
जिसमें कर्म और गुण ( समवाय सम्बन्ध से ) आश्रित हों , जो ( कार्य द्रव्य , गुण एवं कर्म ) का समवायिकारण हो , वह द्रव्य है ।
• सभी [https://bamsclasses.com/ayurvediya-dravya/ द्रव्य] पंच भौतिक होते हैं।
•द्रव्य वर्गीकरण<ref>{{Cite web|url=https://bamsclasses.com/ayurvediya-dravya/|title=द्रव्य|last=classes|first=Bams|date=2021-03-03|website=BAMS CLASSES|language=en-US|access-date=2021-03-28}}</ref>
कुल द्रव्यों की संख्या 9 हैं ( आयुर्वेद / वैशेषिक न्याय मतेन )
खादीन्यात्मा मन : कालो दिशश्च द्रव्यसंग्रहः ।( च.सू. 1.48)
मन , काल ,आकाश , वायु , अग्नि ,जल ,पृथ्वी, आत्मा ,दिशा
[https://bamsclasses.com/ayurvediya-dravya/ द्रव्य] के दो भेद <ref>{{Cite web|url=https://bamsclasses.com/ayurvediya-dravya/|title=द्रव्य|last=classes|first=Bams|date=2021-03-03|website=BAMS CLASSES|language=en-US|access-date=2021-03-28}}</ref>
1. कारण द्रव्य ( संख्या : 9 )
•मूर्त / परमाणु द्रव्य ( 5 : - वायु - तेज - जल - पृथिवी - मन )
•अमूर्त / विभु द्रव्य ( 4 : - आकाश,काल, दिशा ,आत्मा )
2.कार्य द्रव्य ( संख्याः असंख्य )
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