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द्रव्य परिभाषा तथा वर्गीकरण
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द्रव्य
{{बहुवि}}
 
आचार्य चरक मतेन
'''''द्रव्य''' से आशय निम्नलिखित से हो सकता है:''
 
यत्राश्रिताः कर्मगुणाः कारणं समवायि यत् ।
* [[द्रव्य (जैन दर्शन)]]
 
* [[पदार्थ]] - कोई भी पदार्थ,
तद् द्रव्यम् । (च.सू. 1.50)
* [[रासायनिक तत्व]] - मूल रासायनिक तत्व जिनसे अन्य यौगिक बनते हैं और जिन्हें किसी अन्य तत्व में नहीं तोड़ा जा सकता,
 
* [[धन]] - आम भाषा में धन को द्रव्य कहते हैं,
जिसमें कर्म और गुण ( समवाय सम्बन्ध से ) आश्रित हों , जो ( कार्य द्रव्य , गुण एवं कर्म ) का समवायिकारण हो , वह द्रव्य है ।
* [[द्रव्य (दर्शन)]] ([[:en:Substance theory|Substance theory]]) - [[दर्शनशास्त्र]] में परिभाषित द्रव्य (Substance), [[बारूथ स्पिनोज़ा|स्पिनोज़ा]] के दर्शन में [[ईश्वर]], [[कणाद]] के [[वैशेषिक दर्शन|वैशेषिक]] दर्शन में [[पदार्थ (भारतीय दर्शन)|मूल राशि]]।
 
• सभी [https://bamsclasses.com/ayurvediya-dravya/ द्रव्य] पंच भौतिक होते हैं।
 
•द्रव्य वर्गीकरण<ref>{{Cite web|url=https://bamsclasses.com/ayurvediya-dravya/|title=द्रव्य|last=classes|first=Bams|date=2021-03-03|website=BAMS CLASSES|language=en-US|access-date=2021-03-28}}</ref>
 
कुल द्रव्यों की संख्या 9 हैं ( आयुर्वेद / वैशेषिक न्याय मतेन )
 
खादीन्यात्मा मन : कालो दिशश्च द्रव्यसंग्रहः ।( च.सू. 1.48)
 
मन , काल ,आकाश , वायु , अग्नि ,जल ,पृथ्वी, आत्मा ,दिशा
 
[https://bamsclasses.com/ayurvediya-dravya/ द्रव्य] के दो भेद <ref>{{Cite web|url=https://bamsclasses.com/ayurvediya-dravya/|title=द्रव्य|last=classes|first=Bams|date=2021-03-03|website=BAMS CLASSES|language=en-US|access-date=2021-03-28}}</ref>
 
1. कारण द्रव्य ( संख्या : 9 )
 
•मूर्त / परमाणु द्रव्य ( 5 : - वायु - तेज - जल - पृथिवी - मन )
 
•अमूर्त / विभु द्रव्य ( 4 : - आकाश,काल, दिशा ,आत्मा )
 
2.कार्य द्रव्य ( संख्याः असंख्य )