"चिपको आन्दोलन": अवतरणों में अंतर

टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल एप सम्पादन Android app edit
No edit summary
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
पंक्ति 18:
इस आंदोलन की मुख्य उपलब्धि ये रही कि इसने केंद्रीय राजनीति के एजेंडे में पर्यावरण को एक सघन मुद्दा बना दिया चिपको के सहभागी तथा [[कुमाऊँ विश्वविद्यालय]] के प्रोफ़ेसर डॉ.शेखर पाठक के अनुसार, “भारत में 1980 का वन संरक्षण अधिनियम और यहाँ तक कि केंद्र सरकार में पर्यावरण मंत्रालय का गठन भी चिपको की वजह से ही संभव हो पाया।”
 
[[उत्तर प्रदेश]] (वर्तमान [[उत्तराखण्ड]]) में इस आन्दोलन ने 1980 में तब एक बड़ी जीत हासिल की, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री [[इंदिरा गाँधी]] ने प्रदेश के हिमालयी वनों में वृक्षों की कटाई पर 15 वर्षों के लिए रोक लगा दी। बाद के वर्षों में यह आन्दोलन पूर्व में [[बिहार]], पश्चिम में [[राजस्थान]], उत्तर में [[हिमाचल प्रदेश]], दक्षिण में [[कर्नाटक]] और मध्य भारत में [[विन्ध्याचल|विंध्य]] तक फैलाफैल गया था। उत्तर प्रदेश में प्रतिबंध के अलावा यह आन्दोलन पश्चिमी घाट और विंध्य पर्वतमाला में वृक्षों की कटाई को रोकने में सफल रहा। साथ ही यह लोगों की आवश्यकताओं और पर्यावरण के प्रति अधिक सचेत प्राकृतिक संसाधन नीति के लिए दबाब बनाने में भी सफल रहा।<ref>{{cite web|first1=सुनील|last1=कुमार|title=चिपको आन्दोलन|url=https://www.studyfry.com/chipko-andolan|website=स्टडीफ्राई|access-date=12 मई 2017|archive-url=https://web.archive.org/web/20171029174539/https://www.studyfry.com/chipko-andolan|archive-date=29 अक्तूबर 2017|url-status=dead}}</ref>
 
==इन्हें भी देखें==