"उर्दू शायरी": अवतरणों में अंतर

आज तो तुमहारे शहर की गलियां भी खाली होगी चलो आओ गांव की होली में हवा रंगीन और खेतो में हरियाली होगी। शिवम शांडिल्य (इल्लाहाबाद)
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[[चित्र:Ghalibverse.png|thumb|230px|ग़ालिब बुरा न मान जो वाइज़ (मुल्ला/पंडित) बुरा कहे,<br />ऐसा भी है कोई के सब अच्छा कहें जिसे?]]
'''शायरी''' ({{Nastaliq|ur|شاعری}}), '''शेर-ओ-शायरी''' या '''सुख़न''' [[भारतीय उपमहाद्वीप]] में प्रचलित एक कविता का रूप हैं जिसमें [[उर्दू भाषा|उर्दू-]][[हिन्दी]] भाषाओँ में कविताएँ लिखी जाती हैं।<ref name="ref80lefuc">[http://books.google.com/books?id=ZMZjAAAAMAAJ Culture of Hindi] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20190401004939/https://books.google.com/books?id=ZMZjAAAAMAAJ |date=1 अप्रैल 2019 }}, Malik Mohammad, Kalinga Publications, 2005, ISBN 978-81-87644-73-6</ref> शायरी में [[संस्कृत भाषा|संस्कृत]], [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]], [[अरबी भाषा|अरबी]] और [[तुर्कीयाई भाषा|तुर्की]] भाषाओँ के मूल शब्दों का मिश्रित प्रयोग किया जाता है। शायरी लिखने वाले कवि को '''शायर''' या '''सुख़नवर''' कहा जाता है।
 
आज तो तुमहारे शहर की गलियां भी खाली होगी
चलो आओ गांव की होली में हवा रंगीन और खेतो में हरियाली होगी।
 
शिवम शांडिल्य (इल्लाहाबाद)
 
== आम प्रयोग में ==