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'''रामचरित उपाध्याय''' [[हिन्दी]] कवि एवं साहित्यकार थे।
श्री रामचरित उपाध्याय
इन्होंने '[[रामचरित चिंतामणि]] ' नामक प्रबंध काव्य की भी रचना की। युग की चेतनना से स्पंदित होकर राम के लोकोत्तर रूप का चित्रण न करके मानवीय रूप की प्रतिष्ठा की। इस प्रकार इस काव्य के पौराणिक पात्र अतीत काल के प्राणी न रहकर आधुनिक विचारधारा और विकासोन्मुख जीवन से ओतप्रोत हैं। इन्होंने [[सुभाषित|सूक्ति]] एवं नीति के पद्य भी लिखे, जिनका संग्रह '[[सूक्ति मुक्तावली]]' नामक पुस्तक में हुआ है। इन्होंने [[महाभारत]] की कथा के आधार पर एक महिलोपयोगी उपन्यास '[[देवी द्रौपदी]]' की भी रचना की। अपनी बहुमुखी साहित्यसेवा के कारण द्विवेदी युग के साहित्यकारों में इनका विशिष्ट साहित्य सेवा के कारण द्विवेदी युग के साहित्यकारों में इनका विशिष्ट स्थान है।
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