"हूण लोग": अवतरणों में अंतर
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यूरोप पर आक्रमण करने वाले हूणों का नेता अट्टिला (Attila) था। भारत पर आक्रमण करने वाले हूणों को श्वेत हूण तथा यूरोप पर आक्रमण करने वाले हूणों को अश्वेत हूण कहा गया भारत पर आक्रमण करने वाले हूणों के नेता क्रमशः तोरमाण व [[मिहिरकुल]] थे [[तोरमाण ]]ने स्कन्दगुप्त को शासन काल में भारत पर आक्रमण किया था।
<ref>प्राचीन भारत का इतिहास by K.C.srivastav</ref>
<ref>भारत के इतिहास में हूण / रामचन्द्र शुक्ल</ref>
== हूणों की उतपत्ति ==
इतिहासकारों की माने तो हूण उतपत्ति पर किसी के पास कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं है। इतिहासकार बताते हैं कि हुणों का उदय मध्य एशिया से हुआ, जहां से उनकी दो शाखा बनी। एक ने यूरोप पर आक्रमण किया तथा दूसरी ने ईरान से होते हुए भारत पर।
महाभारत के आदिपर्व 174 अध्याय के अनुसार जब ऋषि वषिष्ठ की नंदिनी (कामधेनु) गाय का राजा विश्वामित्र द्वारा अपरहण करने का प्रयास किया, तब कामधेनु गाय ने क्रोध में आकर, अनेकों योद्धाओं को अपने शरीर से जन्म दिया। उसने अपनी पूंछ से बांरबार अंगार की भारी वर्षा करते हुए पूंछ से ही पह्लवों की सृष्टि की, थनों से द्रविडों और शकों को उत्पन्न किया, योनिदेश से यवनों और गोबर से बहुतेरे शबरों को जन्म दिया। कितने ही शबर उसके मूत्र से प्रकट हुए। उसके पार्श्वभाग से पौण्ड्र, किरात, यवन, सिंहल, बर्बर और खसों की सृष्टि की। इसी प्रकार उस गौ ने फेन से चिबुक, पुलिन्द, चीन, हूण, केरल आदि बहुत प्रकार के ग्लेच्छों की सृष्टि की।{{Cite book|url=https://hi.krishnakosh.org/%E0%A4%95%E0%A5%83%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%A3/%E0%A4%AE%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A4_%E0%A4%86%E0%A4%A6%E0%A4%BF_%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B5_%E0%A4%85%E0%A4%A7%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%AF_174_%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B2%E0%A5%8B%E0%A4%95_18-36|title=महाभारत आदि पर्व अध्याय 174 श्लोक 18-36}}<nowiki></ref></nowiki>
==चित्र दीर्घा==
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