"हूण लोग": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
अधिक जानकारी जोड़ी। टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन उन्नत मोबाइल संपादन |
स्तोत्र को जोड़ा । टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन उन्नत मोबाइल संपादन |
||
पंक्ति 10:
इतिहासकारों की माने तो हूण उतपत्ति पर किसी के पास कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं है। इतिहासकार बताते हैं कि हुणों का उदय मध्य एशिया से हुआ, जहां से उनकी दो शाखा बनी। एक ने यूरोप पर आक्रमण किया तथा दूसरी ने ईरान से होते हुए भारत पर।
महाभारत के आदिपर्व 174 अध्याय के अनुसार जब ऋषि वषिष्ठ की नंदिनी (कामधेनु) गाय का राजा विश्वामित्र द्वारा अपरहण करने का प्रयास किया, तब कामधेनु गाय ने क्रोध में आकर, अनेकों योद्धाओं को अपने शरीर से जन्म दिया। उसने अपनी पूंछ से बांरबार अंगार की भारी वर्षा करते हुए पूंछ से ही पह्लवों की सृष्टि की, थनों से द्रविडों और शकों को उत्पन्न किया, योनिदेश से यवनों और गोबर से बहुतेरे शबरों को जन्म दिया। कितने ही शबर उसके मूत्र से प्रकट हुए। उसके पार्श्वभाग से पौण्ड्र, किरात, यवन, सिंहल, बर्बर और खसों की सृष्टि की। इसी प्रकार उस गौ ने फेन से चिबुक, पुलिन्द, चीन, हूण, केरल आदि बहुत प्रकार के ग्लेच्छों की सृष्टि की।<ref>{{Cite
==चित्र दीर्घा==
|