"मन्त्र": अवतरणों में अंतर

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हिन्दू [[श्रुति]] ग्रंथों की कविता को पारम्परिक रूप से '''मंत्र''' कहा जाता है। उदाहरण के लिए [[ऋग्वेद संहिता]] में लगभग १०५५२ मंत्र हैं। [[ॐ]] स्वयं एक मंत्र है और ऐसा माना जाता है कि यह पृथ्वी पर उत्पन्न प्रथम ध्वनि है।
 
इसका शाब्दिक अर्थ 'विचार' या 'चिन्तन' होता है <ref> संस्कृत में '''मननेन त्रायते इति मन्त्रः''' - जो मनन करने पर त्राण दे वह '''मन्त्र''' है </ref> । 'मंत्रणा', और 'मंत्री' इसी मूल से बने शब्द हैं । मन्त्र भी एक प्रकार की वाणी है, परन्तु साधारण वाक्यों के समान वे हमको बन्धन में नहीं डालते, बल्कि बन्धन से मुक्त करते हैं।<ref>श्रीमद्भगवदगीता - टीका श्री भूपेन्द्रनाथ सान्याल, प्रथम खण्ड, अध्याय 1, श्लोक 1</ref>