"केशवदास": अवतरणों में अंतर

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बुंदेलखंड
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== भाषा ==
केशव ने अपने काव्य का माध्यम ब्रजभाषाबुंदेली को बनाया, परन्तु ब्रजभाषा का जो ढला हुआ रूप सूर आदि अष्ट छाप के कवियों में मिलता है वह केशव की कविता में नहीं। केशव संस्कृत के प्रकांड़ पंडित थे, अतः उनकी भाषा संस्कृत से अत्यधिक प्रभावित है। उन्होंने संस्कृत के तत्सम शब्दों को ही नहीं, संस्कृत की विभक्तियों को भी अपनाया है, कहीं-कहीं तो उनके छंदों की भाषा संस्कृत ही जान पड़ती है-
 
:''रामचंद्र पद पद्मं वृंदारक वृंदाभिवंदनीयम्।