"भोपाल": अवतरणों में अंतर

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'''भोपाल''' [[भारत]] देश में [[मध्य प्रदेश]] [[राज्य]] की राजधानी है और [[भोपाल जिला|भोपाल जिलेज़िले]] का प्रशासनिक मुख्यालय भी है। भोपाल को [[राजा भोज]] की नगरी तथा 'झीलों की नगरी' भी कहा जाता है क्योंकि यहाँ कई छोटे-बड़े ताल हैं। यह शहर अचानक सुर्ख़ियों में तब आ गया जब [[१९८४]] में अमरीकी कंपनी, [[यूनियन कार्बाइड]] से [[मिथाइल आइसोसाइनेट]] गैस के रिसाव से लगभग बीस हजार लोग मारे गये थे।
 
भोपाल में [[भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड]] (भेल) का एक कारखाना है। हाल ही में [[भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन|भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र]] ने अपना दूसरा 'मास्टर कंट्रोल फ़ैसिलटी' यहां स्थापित कीकिया है। भोपाल में ही [[भारतीय वन प्रबंधन संस्थान]] भी है जो भारत में वन प्रबंधन का एकमात्र संस्थान है। साथ ही भोपाल उन छह नगरों में से एक है जिनमे २००३ में [[अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान|भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान]] खोलने का निर्णय लिया गया था तथाजोकि वर्ष २०१५ से यह कार्यशील है। इसके अतिरिक्त यहाँ अनेक विश्वविद्यालय हैं जैसे कि [[राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय]], [[बरकतुल्ला विश्वविद्यालय|बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय]], [[अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय|अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय]], [[मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय]], [[माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय|माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय]], [[भारतीय राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय]] हैं।आदि। इसके अतिरिक्त अनेक राष्ट्रीय संस्थान जैसे [[मौलाना आजाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, भोपाल]], [[भारतीय वन प्रबंधन संस्थान]], [[भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान]] , [[राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, भोपाल|राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान]] इंजीनियरिंग महाविद्यालय, [[गाँधी चिकित्सा महाविद्यालय|गाँधी चिकित्सा महाविद्यालय,]], [[नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी|नेशनल लॉ इंस्टिट्यूट यूनिवर्सिटी]] तथा अनेक शासकीय एवं पब्लिक स्कूल हैं। भोपाल में कोलार, तथा केरवा नदियां हैं। [[बेतवा नदी]] का उद्गम स्थल [[कोलार बांध]] के पास झिरी में है।
 
== इतिहास ==
{{main|भोपाल का इतिहास}}
[[File:Gol ghar bhopal.jpg|thumb|गोलघर]]
एक मान्यता के अनुसार भोपाल का प्राचीन नाम भूपाल था अर्थात् भूपाल, भू-पाल भू = भूमि, पाल=दूध। एक दूसरा मत यह है कि इस शहर का नाम एक अन्य राजा भूपाल शाह के नाम पर पड़ा।
[[File:Taj Mahal Bhopal.jpg|thumb|left|[[ताज महल - भोपाल]]]]
भोपाल की स्थापना परमार [[परमार भोज|राजा भोज]] ने १०००-१०५५ ईस्वी में की थी। उनके राज्य की राजधानी [[धार]] थी, जो अब मध्य प्रदेश का एक जिलाज़िला है। शहर का पूर्व नाम 'भोजपाल' था जो भोज और पाल के संधि से बना था। परमार राजाओं के अस्त के बाद यह शहर कई बार लूट का शिकार बना। परमारों के बाद भोपाल शहर में अफ़गानअफ़ग़ान सिपाही [[दोस्त मोहम्मद ख़ान, भोपाल|दोस्त मोहम्मद ख़ान]] (1708-1740) का शासन रहा; इसलिये भोपाल को नवाबी शहर माना जाता है। मुगलमुग़ल साम्रज्यसाम्राज्य के विघटन का फ़ायदा उठाते हुए खानख़ान ने बेरासिया तहसील हड़प ली। कुछ समय बाद [[गोंड (जनजाति)|गोण्ड]] महारानी कमलापतीकमलापति की मदद करने के लिए खानख़ान को भोपाल गाँव भेंट किया गया। रानी की मौत के बाद खानख़ान ने छोटे से गोण्ड राज्य पर कब्ज़ाक़ब्ज़ा जमा लिया।
 
महारानी कमलापति जो की यह गौड़गोण्ड महाराजा निजामनिज़ाम शाह की रानीपत्नी थी ।थीं। राजा निजामनिज़ाम शाह की मृत्यु हो जाने पर महारानी कमलापति ने राज्य की बागडोर संभाली। जिनके नाम आप आज भी भोपाल शहर के अंदर बड़े तालाब के पास उनकीइनकी स्मृति के रूप में कमला पार्क का निर्माण किया गया है।
 
१७२०-१७२६ के दौरान दोस्त मुहम्मदमोहम्मद खानख़ान ने भोपाल गाँव की किलाबन्दीक़िलाबन्दी कर इसे एक शहर में तब्दील किया। साथ ही उन्होंने [[नवाब]] की पदवी अपना ली और इस तरह से भोपाल राज्य की स्थापना हुई। मुगलमुग़ल दरबार के सिद्दीकीसिद्दीक़ी बन्धुओं से दोस्ती के नाते खानख़ान ने [[हैदराबाद के निज़ाम]] [[निज़ाम-उल-मुल्क आसफजाह|मीर क़मर-उद-दीन]] (निज़ाम-उल-मुल्क) से दुश्मनी मोल ले ली। सिद्दीकीसिद्दीक़ी बन्धुओं से निपटने के बाद १७२३ में निज़ाम ने भोपाल पर हमला कर दिया और दोस्त मुहम्मदमोहम्मद खानख़ान को निज़ाम का आधिपत्य स्वीकार करना पड़ा।
 
[[मराठा साम्राज्य|मराठाओं]] ने भी भोपाल राज्य से [[चतुर्थी|चौथ]] (कुल [[लगान]] का चौथा हिस्सा) वसूली की। १७३७ में मराठाओं ने मुगलोंमुग़लों को भोपाल की लड़ाई में मात दी। खानख़ान के उत्तराधिकारियों ने १८१८ में ब्रिटिश हुकुमतहुकूमत के साथ सन्धि कर ली और भोपाल राज्य [[ब्रिटिश राज]] की एक [[रियासत]] बन गया। १९४७ में जब भारत को आज़ादी मिली, तब भोपाल राज्य की वारिस आबिदा सुल्तान [[पाकिस्तान]] चली गईं। उनकी छोटी बहन बेगमबेग़म साजिदा सुल्तान को उत्तराधिकारी घोषित कर दिया गया। १ जून १९४९ मेंके दिन भोपाल राज्य का भारत में विलय<ref>[http://epaper.bhaskar.com/bhopal/120/01062017/mpcg/2/ भोपाल विलय के 68 साल- दैनिक भास्कर ]</ref> हो गया।
{{multiple image
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भोपाल मेट्रो, भोपाल की एक निर्माणाधीन यातायात प्रणाली है<ref>{{Cite web |url=http://www.mpmetrorail.com/index.php/2016-04-30-12-07-21/2016-04-30-12-07-57/bhopal-metro |title=संग्रहीत प्रति |access-date=23 सितंबर 2019 |archive-url=https://web.archive.org/web/20190426110229/http://www.mpmetrorail.com/index.php/2016-04-30-12-07-21/2016-04-30-12-07-57/bhopal-metro |archive-date=26 अप्रैल 2019 |url-status=dead }}</ref>। वर्तमान समय में भोपाल मेट्रो में दो मार्गों पर काम हो रहा है<ref>{{Cite web |url=http://www.mpmetrorail.com/index.php/2016-04-30-12-07-21/2016-04-30-12-07-57/bhopal-metro |title=संग्रहीत प्रति |access-date=23 सितंबर 2019 |archive-url=https://web.archive.org/web/20190426110229/http://www.mpmetrorail.com/index.php/2016-04-30-12-07-21/2016-04-30-12-07-57/bhopal-metro |archive-date=26 अप्रैल 2019 |url-status=dead }}</ref>
 
'''लाइन २:''' करोंद चौराहा - भोपाल टॉकीज - रेलवे स्टेशन - भारत टॉकीज - पुल बोगदा - सुभाष नगर अंडरपास - डीबी मॉल - बोर्ड ऑफिस चौराहा - हबीबगंज नाका - अलकापुरी बस स्टॉप - अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान
'''लाइन २:'''
करोंद चौराहा - भोपाल टॉकीज - रेलवे स्टेशन - भारत टॉकीज - पुल बोगदा - सुभाष नगर अंडरपास - डीबी मॉल - बोर्ड ऑफिस चौराहा - हबीबगंज नाका - अलकापुरी बस स्टॉप - अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान
 
''मार्ग की लम्बाई : १४. ९९ किमी''
 
'''लाइन ५:''' डिपो चौराहा - जवाहर चौक - रोशनपुरा चौराहा - मिंटो हॉल - लिली टॉकीज़ - जिन्सी डिपो - बोगदा पुल - प्रभात चौराहा - अप्सरा टॉकीज - गोविंदपुरा इंडस्ट्रियल एरिया - जे के रोड - रत्नागिरी चौराहा
'''लाइन ५:'''
डिपो चौराहा - जवाहर चौक - रोशनपुरा चौराहा - मिंटो हॉल - लिली टॉकीज़ - जिन्सी डिपो - बोगदा पुल - प्रभात चौराहा - अप्सरा टॉकीज - गोविंदपुरा इंडस्ट्रियल एरिया - जे के रोड - रत्नागिरी चौराहा
 
''मार्ग की लम्बाई : १२ . ८८ किमी''
 
==भोपाल गैस त्रासदी==
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== भौगोलिक स्थिति ==
भोपाल भारत के मध्य भाग में स्थित है और इसके निर्देशांक २३.२७º उ. एवं ७७.४º पू. हैं। यह विंध्य पर्वत श्रृंखला के पूर्व में है। भोपाल एक पहाड़ी इलाक़े पर स्थित है किंतु इसका तापमान अधिकतर गर्म रहता है। इसका भू-भाग ऊँचा-नीचा है एवं इसके दायरे में कई छोटे पहाड़ हैं। उदाहरण के लिए श्यामला हिल, ईदगाह हिल, अरेरा हिल, कताराकटारा हिल इत्यादि। यहाँ गर्मियाँ गर्म और सर्दियाँ सामान्य ठण्डी रहती हैं। बारिश का मौसम जून से ले के सितंबर-आक्टोबर तक रहता है और सामान्य वर्षा दर्ज की जाती है। २०१९ मानसून में भोपाल में ४० वर्षों में सबसे अधिक वर्षा हुई है <ref>https://timesofindia.indiatimes.com/city/bhopal/bhopal-receives-its-highest-rainfall-in-40-years-in-unending-monsoon/articleshow/71191867.cms</ref>
 
नगर निगम की सीमा २८९ वर्ग कि. मी. है। शहरी सीमा के भीतर दो मानव निर्मित झीलें है जो संयुक्त रूप से भोज स्थल के नाम से जानी जाती हैं। बड़ी झील राजा भोज द्वारा निर्मित करवाई गई थी जिसका कुल जल ग्रहण क्षेत्र ३६१ वर्ग कि. मी. है। छोटी झील का निर्माण राजा भोज ने करवाया।
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'''भोपााल का तालाब'''
 
भोपाल की पहचान भोपाल के [[बड़ा तालाब, भोपाल|बड़े तालाब]] से है। कहा जाता है- "तालों में ताल भोपाल ताल बाकी सब तलैया" भोपालबड़े तालतालाब में स्थित बोट क्लब एक पर्यटन स्थल है जो बोटिंग के लिए सुंदर स्थान है।
 
== पर्यटन ==
[[चित्र:Lakshmi Narayan Temple 01.jpg|thumb|right|300px|लक्ष्मीनारायण मंदिर]]
यहां का छोटा तालाब, [[बड़ा तालाब, भोपाल|बड़ा तालाब]], [[भीमबेटका शैलाश्रय|भीम बैठका]], [[वन्य अभयारण्य|अभयारण्य]], शहीद भवन तथा [[भारत भवन]] देखने योग्य हैं। भोपाल के पास स्थित [[साँची का स्तूप|सांची]] का [[स्तूप]] भी पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र है, जोकि [[यूनेस्को विश्व धरोहर|यूनेस्को]] द्वारा संरक्षित है। भोपाल से लगभग २८ किलोमीटर दूर स्थित [[भोजेश्वर मन्दिर|भोजपुर मन्दिर]] एक एतिहासिक दर्शनिय स्थल है। भेल स्थित श्रीराम मंदिर, बरखेड़ा एक प्रसिद्ध आस्था का केंद्र है।
[[File:MP Tourism Bhopal Tourist Van.jpg|thumb|left|300px|मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग की भोपाल दर्शन गाड़ी]]
 
;=== [[लक्ष्मीनारायण मंदिर, भोपाल]] ===
: भोपाल के अरेरा पहाड़ी पर पाँच दशक पूर्व स्थापित बिड़ला मंदिर वर्षों से धार्मिक आस्था का केन्द्र रहा है। मंदिर में स्थापित भगवान श्रीहरि विष्णु एवं लक्ष्मीजी की मनोहारी प्रतिमाएँ बरबस ही श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकृष्ट कर रही हैं। करीब 7-8 एकड़ पहाड़ी क्षेत्र में फैले इस मंदिर की ख्याति देश व प्रदेश के विभिन्न शहरों में फैली हुई है।
: जानकारों के अनुसार इस मंदिर का शिलान्यास वर्ष 1960 में [[मध्य प्रदेश|मध्यप्रदेश]] के तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ॰ [[कैलाश नाथ काटजू|डॉ॰ कैलाशनाथ काटजू]] ने किया था और उद्‍घाटन वर्ष 1964 में मुख्यमंत्री [[द्वारका प्रसाद मिशमिश्र]]्र के हाथों संपन्न हुआ। मंदिर के अंदर विभिन्न पौराणिक दृश्यों की संगमरमर पर की गई नक्काशी दर्शनीय तो है ही, उन पर गीता व रामायण के उपदेश भी अंकित हैं।
:मंदिर के अंदर विष्णुजी व लक्ष्मीजी की प्रतिमाओं के अलावा एक ओर शिव तथा दूसरी ओर माँ जगदम्बा की प्रतिमा विराजमान हैं। मंदिर परिसर में हनुमानजी एवं शिवलिंग स्थापित हैं। वहीं मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार के सामने बना विशाल शंख भी दर्शनीय है। मंदिर की स्थापना के समय पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश नाथ ने बिड़ला परिवार को शहर में उद्योग स्थापित करने के लिए जमीन देने के साथ ही यह शर्त भी रखी थी कि वह इस दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र में एक भव्य तथा विशाल मंदिर का निर्माण करवाएँ। मंदिर के उद्‍घाटन के समय यहाँ विशाल विष्णु महायज्ञ भी आयोजित किया गया था, जिसमें अनेक विद्वानों व धर्म शास्त्रियों ने भाग लिया था। आज भी यह मंदिर जन आस्था का मुख्य केन्द्र बिन्दु है। जन्माष्टमी पर यहाँ श्रीकृष्ण जन्म का मुख्य आयोजन होता है, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होकर विष्णु की आराधना करते है।
 
=== '''श्रीराम मंदिर, बरखेड़ा, भेल''' ===
[[चित्र:Ram Darbar .jpg|अंगूठाकार|श्रीराम मंदिर, बरखेड़ा भेल ]]
इस मंदिर में मुख्य मंदिर में विराजे श्रीराम चतुष्ट्य की स्थापना 4 अप्रैल 1971 को हुई थी. यहाँ की सभी मूर्तिया बहुत सुन्दर और अलौकिक है. इस मंदिर का दिव्य वातावरण सबका मन मोह लेता है. करीब 3 एकड़ में फैले इस मंदिर में मनोहारी उपवन है जिसमें अनेक प्रकार के फूल खिलते है। मंदिर में श्रीराम के अलावा दुर्गा जी, योगेश्वर कृष्ण, रामभक्त हनुमान, शंकर जी, शिव जी व् गुरुदेव दत्तात्रेय भी विराजे है. मंदिर परिसर में बच्चों के लिए अनेक झूले भी लगे है. घास के बड़े मैदानों में बच्चे किलकारी मारते खेला करते है. सुबह व् शाम सुन्दर कर्णप्रिय भजन भक्तों का मन मोह लेते है. मंदिर में ऑनलाइन दर्शन की भी व्यवस्था है. श्रीराम नवमी, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, हनुमान जयंती, शिवरात्रि, दत्तात्रेय जयंती समेत अनेक पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाये जाते है. विशेष पर्वो पर भोपाल के सभी मंदिरों की तुलना में सबसे ज्यादा श्रद्धालु इसी मंदिर में एकत्र होते है. श्रीराम नवमी पर तो पूरे दिन मंदिर में पैर रखने तक की जगह नहीं होती।
 
;=== [[भोजेश्वर मन्दिर|भोजपुर]] ===
: यह प्राचीन शहर दक्षिण पूर्व भोपाल से 28 किमी की दूरी पर स्थित है। यह शहर भगवान शिव को समर्पित [[भोजेश्वर मन्दिर|भोजेश्‍वर मंदिर]] के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर को पूर्व का [[सोमनाथ मन्दिर|सोमनाथ]] भी कहा जाता है। भोपाल से 28 किलोमीटर दूर स्थित भोजपुर की स्थापना गुर्जर [[परमार वंश]] के राजा भोज ने की थी। इसीलिए यह स्थान भोजपुर के नाम से चर्चित है। इस प्राचीन नगर को उत्तर भारत का सोमनाथ कहा जाता है। यह स्थान भगवान शिव के भव्य मंदिर और साईक्लोपियन बांध के लिए जाना जाता है। यहां के भोजेश्‍वर मंदिर की सुंदर सजावट की गई है। मंदिर एक ऊंचे चबूतरे पर बना है जिसके गर्भगृह में लगभग साढे तीन मीटर लंबा ,[[शिवलिंग]] स्थापित है। इसे भारत के सबसे विशाल शिवलिंगों में शुमार किया जाता है।
; [[मोती मस्जिद, भोपाल]]
: इस मस्जिद को कदसिया बेगम की बेटी [[सिकंदर जहां बेगम]] ने 1860 ई. में बनवाया था।
 
;=== [[ताज-उल-मोती मस्जिद, भोपाल]] ===
: इस मस्जिद को कदसियाक़ुदसिया बेगमबेग़म की बेटी [[सिकंदर बेगम|सिकंदर जहां बेगमबेग़म]] ने 1860 ई. में बनवाया था।
 
=== [[ताज-उल-मस्जिद, भोपाल|ताज-उल-मसाजिद, भोपाल]] ===
[[चित्र:2100914-Tal ul Masjid Bhopal.jpeg|200px|thumb|right|ताज-उल-मस्जिद, भोपाल]]
: यह मस्जिद [[भारत]] की सबसे विशाल मस्जिदों में एक है। इस मस्जिद का निर्माण कार्य भोपाल केकी आठवेंआठवीं शासकशासिका [[शाहजहांँ बेगम|शाहजहां बे]][[सिकंदर बेगम|ग़]]<nowiki/>म के शासन काल में प्रारंभ हुआ था, लेकिन धन की कमी के कारण उनके जीवंतपर्यंत यह बन न सकी।
 
;=== [[शौकत महल, भोपाल|शौक़त महल, भोपाल]] और [[सदर मंजिल, भोपाल|सदर मंज़िल, भोपाल]] ===
: [[शौकत महल, भोपाल|शौक़त महल]] शहर के बीचोंबीच चौक एरिया के प्रवेश द्वार पर स्थित है।
 
;=== [[गोहर महल, भोपाल]] ===
[[चित्र:Bhopal architecture1.JPG|right|thumb|300px|गौहर महल]]
: झील के किनारे बना यह महल शौकत महल के पीछे स्थित है।
 
;=== [[पुरातात्विक संग्रहालय, भोपाल]] ===
: बनगंगाबाणगंगा रोड पर स्थित इस संग्रहालय में [[मध्य प्रदेश|मध्यप्रदेश]] के विभिन्‍न हिस्‍सों से एकत्रित की हुई मूर्तियों को रखा गया है।
 
;=== [[भारत भवन|भारत भवन, भोपाल]] ===
: यह भवन भारत के सबसे अनूठे राष्‍ट्रीय संस्‍थानों में एक है। 1982 में स्‍थापित इस भवन में अनेक रचनात्‍मक कलाओं का प्रदर्शन किया जाता है।
 
;=== [[इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय]] ===
यह अनोखा संग्रहालय श्यामला की पहाडियों पर 200 एकडएकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है।
 
;=== [[भीमबेटका शैलाश्रय|भीमबेटका गुफाएंगुफ़ाएं]] ===
: दक्षिण भोपाल से 46 किलोमीटर दूर स्थित [[भीमबेटका शैलाश्रय|भीमबेटका की गुफाएं]] प्रागैतिहासिक काल की चित्रकारियों के लिए लोकप्रिय हैं। यह गुफाएंगुफ़ाएं चारों तरफ से [[विन्ध्याचल पर्वत शृंखला|विन्‍ध्‍य पर्वतमालाओं]] से घिरी हुईं हैं, जिनका संबंध नवपाषाण काल से है। इन गुफाओंगुफ़ाओं के अंदर बने चित्र गुफाओंगुफ़ाओं में रहने वाले प्रागैतिहासिक काल के जीवन का विवरण प्रस्‍तुत करते हैं। यहां की सबसे प्राचीन चित्रकारी को 12 हजार वर्ष पूर्व की मानी जाती है।
 
;=== [[शौर्य स्मारक]] ===
; [[भीमबेटका शैलाश्रय|भीमबेटका गुफाएं]]
:[[शौर्य स्मारक]] शहर के अरेरा हिल्स इलाके में स्थित है। इसका उद्घाटन भारत के प्रधानमंत्री श्री [[नरेन्द्र मोदी|नरेंद्र मोदी]] के द्वारा 14 अगस्त 2016 को किया गया। स्मारक 12 एकड़ में फैला हुआ है। इसे पार्क के रूप में विकसित किया गया है और पाकिस्तान व चीन से हुए युद्धों से संबंधित प्रदर्शनियां भी है।है।बोट क्लब-
: दक्षिण भोपाल से 46 किलोमीटर दूर स्थित भीमबेटका की गुफाएं प्रागैतिहासिक काल की चित्रकारियों के लिए लोकप्रिय हैं। यह गुफाएं चारों तरफ से विन्‍ध्‍य पर्वतमालाओं से घिरी हुईं हैं, जिनका संबंध नवपाषाण काल से है। इन गुफाओं के अंदर बने चित्र गुफाओं में रहने वाले प्रागैतिहासिक काल के जीवन का विवरण प्रस्‍तुत करते हैं। यहां की सबसे प्राचीन चित्रकारी को 12 हजार वर्ष पूर्व की मानी जाती है।
 
:=== बोट क्लब- ===
;[[शौर्य स्मारक]]
:बोट क्लब भोपाल तालाब श्यामला हिल्स में है जन्हाजहाँ आप बोटिंग का आनंद ले सकत हैंसकते हैं। बोट क्लब में शामिल हैं स्टीमर बोट और बहुत कुछ।
:शौर्य स्मारक शहर के अरेरा हिल्स इलाके में स्थित है। इसका उद्घाटन भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के द्वारा 14 अगस्त 2016 को किया गया। स्मारक 12 एकड़ में फैला हुआ है। इसे पार्क के रूप में विकसित किया गया है और पाकिस्तान व चीन से हुए युद्धों से संबंधित प्रदर्शनियां भी है।
:बोट क्लब-
:बोट क्लब भोपाल तालाब श्यामला हिल्स में है जन्हा आप बोटिंग का आनंद ले सकत हैं । बोट क्लब में शामिल हैं स्टीमर बोट और बहुत कुछ।
 
==भोपाल की वनस्पतियां==
पंक्ति 155:
== आवागमन ==
;वायु मार्ग
भोपाल का [[राजा भोज विमानक्षेत्र|राजा भोज हवाई अड्डा]] शहर से १२ कि॰मी॰ की दूरी पर है। दिल्‍ली, मुंबई, इंदौर, अहमदाबाद, चेन्नई, चंडीगढ़, हैदराबाद, कोलकाता, रायपुर से यहां के लिए एयर इंडिया एवम अन्य निजी एयरलाइन्स कंपनियों की नियमित उडान सेवाएँ हैं।
 
;रेल मार्ग
[[भोपाल जंक्शन रेलवे स्टेशन|भोपाल का रेलवे स्थानक]] देश के विविध रेलवे स्थानकों से जुडा हुआ है। यह रेलवे स्थानक भारतीय रेल के दिल्‍ली-चैन्‍नई मुख्य मार्ग पर पड़ता है। [[शताब्दी एक्स्प्रेस|शताब्‍दी एक्‍सप्रेस]] भोपाल को दिल्‍ली से सीधा जोडती है। साथ ही यह शहर [[मुम्‍बई]], आगरा, ग्‍वालियर, झांसी, उज्‍जैन, कोलकाता, चेन्नैचैन्‍नई, बंगलूरू, हैदराबाद आदि शहरों से अनेक रेलगाडियों के माध्‍यम से जुडा हुआ है।
 
;सडक मार्ग
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[[File:Kushabhau Thakre ISBT Bhopal (1).jpg|thumb|300px|कुशाभाऊ ठाकरे अंतर्राज्यीय बस अड्डा]]
[[File:Kushabhau Thakre ISBT Bhopal (2).jpg|thumb|300px|कुशाभाऊ ठाकरे अंतर्राज्यीय बस अड्डा (सम्पूर्ण दृश्य)]]
[[साँची का स्तूप|सांची]], [[इन्दौर|इंदौर]], [[उज्जैन]], [[खजुराहो]], [[पचमढ़ी|पंचमढी]], [[जबलपुर]] आदि शहरों से आसानी से सडक मार्ग से भोपाल पहुंचा जा सकता है। [[मध्य प्रदेश|मध्‍यप्रदेश]] और पड़ोसी राज्‍यों के अनेक शहरों से भोपाल के लिए नियमित बसें चलती हैं।
 
==चित्र दीर्घा ==
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== जनसंख्या ==
 
भोपाल शहर की कुल जनसंख्या ([[भारत की जनगणना २०११|२०११ की जनगणना]] के अनुसार) कुल १७,९५,६४८ है। भोपाल जिले की कुल जनसंख्या २३,६८,१४५ है। जिसमे करीब ५६% हिन्दू, ४०% मुस्लिम हैं। पुरुषों की संख्या १२,३९,३७८ तथा महिलाओं की संख्या ११,२८,७६७ है। कुल साक्षरता ८२.२६% है (पुरुष: ८७.४४%, महिला: ७६.५७%)।
 
 
"https://hi.wikipedia.org/wiki/भोपाल" से प्राप्त