गुमनाम सदस्य
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[[कवि]] हैं। वे अर्थ की गौरवता के लिये प्रसिद्ध हैं ("भारवेरर्थगौरवम्")।
[[किरातार्जुनीयम्]] महाकाव्य उनकी महान रचना है। इसे एक उत्कृष्ट श्रेणी
की काव्यरचना माना जाता है। इनका काल छठी-सातवीं
यह काव्य किरातरूपधारी [[शिव]] एवं पांडुपुत्र [[अर्जुन]] के बीच के
धनुर्युद्ध तथा वाद-वार्तालाप पर केंद्रित है। [[महाभारत]] के वन पर्व पर
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