"प्रेमचंद": अवतरणों में अंतर

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== जीवन परिचय ==
[[File:Lamhi, Varanasi.jpg|thumb|right|प्रेमचंद स्मृति द्वार, लमही, वाराणसी]]
प्रेमचंद का जन्म [[३१|31]] जुलाई [[१८८०|1980]] को [[वाराणसी]] जिले (उत्तर प्रदेश) के [[लमही]] गाँव में एक [[कायस्थ]] परिवार में हुआ था। उनकी माता का नाम आनन्दी देवी तथा पिता का नाम मुंशी अजायबराय था जो लमही में डाकमुंशी थे। उनका वास्तविक नाम धनपत राय श्रीवास्तव था। प्रेमचंद (प्रेमचन्द) की आरंभिक (आरम्भिक) शिक्षा [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]] में हुई। प्रेमचंद (प्रेमचन्द) के माता-पिता के संबंध (सम्बन्ध) में रामविलास शर्मा लिखते हैं कि- "जब वे सात साल के थे, तभी उनकी माता का स्वर्गवास हो गया। जब पंद्रह (पन्द्रह) वर्ष के हुए तब उनका विवाह कर दिया गया और सोलह वर्ष के होने पर उनके पिता का भी देहांत (देहान्त) हो गया।"<ref>{{cite book |last1=रामविलास |first1=शर्मा |title=प्रेमचंद और उनका युग |date=2008 |publisher=राजकमल प्रकाशन |location=नई दिल्‍ली |isbn=978-81-267-0505-4 |page=17}}</ref>
 
इसके कारण उनका प्रारंभिकप्रारम्भिक जीवन संघर्षमय रहा। प्रेमचंद के जीवन का साहित्य से क्या संबंध है इस बात की पुष्टि रामविलास शर्मा के इस कथन से होती है कि- "सौतेली माँ का व्यवहार, बचपन में शादी, पंडेपण्डे-पुरोहित का कर्मकांडकर्मकाण्ड, किसानों और क्लर्कों का दुखी जीवन-यह सब प्रेमचंद ने सोलह साल की उम्र में ही देख लिया था। इसीलिए उनके ये अनुभव एक जबर्दस्त सचाई लिए हुए उनके कथा-साहित्य में झलक उठे थे।"<ref>{{cite book |last1=रामविलास |first1=शर्मा |title=प्रेमचंद और उनका युग |date=2008 |publisher=राजकमल प्रकाशन |location=नई दिल्‍ली |isbn=978-81-267-0505-4 |page=18}}</ref> उनकी बचपन से ही पढ़ने में बहुत रुचि थी। [[१३|13]] सालवर्ष की उम्र में ही उन्‍होंने ''[[तिलिस्म-ए-होशरुबा]]'' पढ़ लिया और उन्होंने उर्दू के मशहूर रचनाकार रतननाथ 'शरसार', मिर्ज़ा हादी रुस्वा और मौलाना शरर के उपन्‍यासों से परिचय प्राप्‍त कर लिया<ref>रामविलास शर्मा, प्रेमचंद और उनका युग, [[राजकमल प्रकाशन]], नई दिल्‍ली, [[१९९५|1995]], पृष्‍ठ 15</ref>। उनका पहला विवाह पंद्रह साल की उम्र में हुआ। [[१९०६|1906]] में उनका दूसरा विवाह [[शिवरानी देवी]] से हुआ जो बाल-विधवा थीं। वे सुशिक्षित महिला थीं जिन्होंने कुछ कहानियाँ और ''प्रेमचंद घर में'' शीर्षक पुस्तक भी लिखी। उनकी तीन संतानेसन्ताने हुईं-श्रीपत राय, [[अमृत राय]] और कमला देवी श्रीवास्तव। [[१८९८|1898]] में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वे एक स्थानीय विद्यालय में शिक्षक नियुक्त हो गए। नौकरी के साथ ही उन्होंने पढ़ाई जारी रखी। उनकी शिक्षा के संदर्भसन्दर्भ में रामविलास शर्मा लिखते हैं कि- "[[१९१०|1910]] में [[अंग्रेज़ी]], [[दर्शन]], [[फ़ारसी]] और [[इतिहास]] लेकर इंटर (इण्टर) किया और [[१९१९|1919]] में अंग्रेज़ीअंग्रेजी, फ़ारसी और इतिहास लेकर बी. ए. किया।"<ref>{{cite book |last1=रामविलास |first1=शर्मा |title=प्रेमचंद और उनका युग |date=2008 |publisher=राजकमल प्रकाशन |location=नई दिल्‍ली |isbn=978-81-267-0505-4 |page=19}}</ref> [[१९१९]] में बी.ए.<ref>{{cite book |last=बाहरी |first=डॉ॰ हरदेव |title= साहित्य कोश, भाग-2,|year=१९८६|publisher=ज्ञानमंडल लिमिटेड |location=वाराणसी|id= |page=३५६ |access-date=}}</ref> पास करने के बाद वे शिक्षा विभाग के इंस्पेक्टर पद पर नियुक्त हुए।
 
[[१९२१|1921]] ई. में [[असहयोग आंदोलनआन्दोलन]] (आन्दोलन) के दौरान [[महात्मा गांधी|महात्मा गाँधी]] के सरकारी नौकरी छोड़ने के आह्वान पर स्कूल इंस्पेक्टर पद से [[२३|23]] जून को त्यागपत्र दे दिया। इसके बाद उन्होंने लेखन को अपना व्यवसाय बना लिया। मर्यादा, माधुरी आदि पत्रिकाओं में वे संपादक पद पर कार्यरत रहे। इसी दौरान उन्होंने प्रवासीलाल के साथ मिलकर सरस्वती प्रेस भी खरीदा तथा हंस और जागरण निकाला। प्रेस उनके लिए व्यावसायिक रूप से लाभप्रद सिद्ध नहीं हुआ। [[१९३३|1933]] ई. में अपने ऋण को पटाने के लिए उन्होंने मोहनलाल भवनानी के सिनेटोन कंपनीकम्पनी में कहानी लेखक के रूप में काम करने का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। फिल्म नगरी प्रेमचंद को रास नहीं आई। वे एक वर्ष का अनुबंध (अनुबन्ध) भी पूरा नहीं कर सके और दो महीने का वेतन छोड़कर बनारस लौट आए। उनका स्वास्थ्य निरंतर (निरन्तर) बिगड़ता गया। लम्बी बीमारी के बाद [[८|8]] अक्टूबर [[१९३६|1936]] को उनका निधन हो गया।<ref>{{Cite web|url=https://www.jagran.com/news/national-time-for-a-great-achievement-in-hindi-literature-walking-together-with-gandhi-and-premchand-jagran-special-20576297.html|title=Munshi Premchand: गांधी और प्रेमचंद का साथ-साथ चलना हिंदी साहित्य में एक महान उपलब्धि|website=Dainik Jagran|language=hi|access-date=2020-07-31}}</ref>
 
== साहित्यिक जीवन ==