परमेश्वर एक में तीन है और साथ ही साथ तीन में एक है -- परमपिता, ईश्वरपुत्र [[यीशु|ईसा मसीह]] और [[पवित्र आत्मा]]।
=== इस्लाम धर्म पन्थ===
{{मुख्य|इस्लाम}}
[[File:Allah3.svg|thumb|right|200px|[[अरबी भाषा]] में लिखा '''अल्लाह''' शब्द]]
वो ईश्वर को [[अल्लाह]] कहते हैं। [[इस्लाम|इस्लाम धर्मपन्थ]] की धार्मिक पुस्तक [[क़ुरआन|कुरान]] है और प्रत्येक मुसलमान ईश्वर शक्ति में विश्वास रखता है।
इस्लाम का मूल मंत्रमन्त्र "लॉला इलाह इल्ल, अल्लाह, मुहम्मद उर रसूल अल्लाह" है, अर्थात अल्लाह के सिवा कोई माबूद नही है और मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) उनके आखरी रसूल (पैगम्बर) हैं।
इस्लाम मे मुसलमानो को खड़े खुले में पेशाब(इस्तीनज़ा) करने की इजाज़त नही क्योंकि इससे इंसान नापाक होता है और नमाज़ पढ़ने के लायक नही रहता इसलिए इस्लाम मे बैठके पेशाब करने को कहा गया है और उसके बाद पानी से शर्मगाह को धोने की इजाज़त दी गयी है।
इस्लाम मे 5 वक़्तवक्त की नामाज़ मुक़र्रर की गई है और हर नम्र फ़र्ज़ है। इस्लाम मे रमज़ान एक पाक महीना है जो कि 30 दिनों का होता है और 30 दिनों तक रोज़रोज रखना जायज़ हैजिसकी उम्र 12 या 12 से ज़्यादा हो।<ref>{{Cite web|url=https://www.jansatta.com/religion/ramadan-2019-history-and-significant-know-about-how-long-ramadan-what-is-its-recognition-in-islam/1002116/|title=जानिए, कब से शुरू हुआ रमजान, इस्लाम में क्या है इसकी मान्यता|date=2019-05-04|website=Jansatta|language=hi|access-date=2020-10-03}}</ref> 12 से कम उम्र पे रोज़ फ़र्ज़ नही। सेहत खराब की हालत में भी रोज़ फ़र्ज़ नही लेकिन रोज़े के बदले ज़कात देना फ़र्ज़ है। वैसा शख्स जो रोज़ा न रख सके किसी भी वजह से तो उसको उसके बदले ग़रीबो को खाना खिलाने और उसे पैसे देने या उस गरीब की जायज़ ख्वाइश पूरा करना लाज़मी है। मुसलमान कुरान का ज्ञान देने वाले को अल्लाह मानते हैं लेकिन सूरत 25 आयत 59 में प्रमाण है कि वास्तविक अल्लाह कुरान का ज्ञान देने वाले से भिन्न है, और उसका नाम कबीर है<ref>{{Cite web|url=https://www.jagatgururampalji.org/hi/quran-sharif|title=कुरान शरीफ (इस्लाम) में सर्वशक्तिमान अविनाशी भगवान (अल्लाह कबीर) {{!}} Jagat Guru Rampal Ji|website=www.jagatgururampalji.org|access-date=2020-10-03}}</ref>