"वर्णमाला": अवतरणों में अंतर

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संयुक्त व्यंजन- क्ष, त्र, ज्ञ, श्र
 
'''स्वर''' जिन वर्णों का उच्चारण करते समय साँस, कंठकण्ठ, तालु आदि स्थानों से बिना रुके हुए निकलती है, उन्हें 'स्वर' कहा जाता है।
'''''व्यंजन'''''
जिन वर्णों का उच्चारण करते समय साँस कंठकण्ठ, तालु आदि स्थानों से रुककर निकलती है, उन्हें 'व्यंजन' कहा जाता है।
प्राय: व्यंजनों का उच्चारण स्वर की सहायता से किया जाता है।
हिन्दी वर्णमाला के समस्त वर्णों को व्याकरण में दो भागों में विभक्त किया गया है- स्वर और व्यंजन।
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विशेष :- भाषा की सार्थक इकाई वाक्य हैं। वाक्य से छोटी इकाई उपवाक्य , उपवाक्य से छोटी इकाई पदबंध , पदबंध से छोटी इकाई पद , पद से छोटी इकाई अक्षर और अक्षर से छोटी इकाई ध्वनि होती है ध्वनि को वर्ण भी कहते हैं।
जैसे :- पुन: = इसमें दो अक्षर हैं – पु , न । लेकिन इसमें वर्ण चार हैं = प् ,उ , न , ह आदि।[[चित्र:Tibetan script.svg|thumb|210px|तिब्बती वर्णमाला]]
हिंदी भाषा की सबसे छोटी इकाई ध्वनि होती है। इसी ध्वनि को ही वर्ण कहा जाता है। वर्णों को व्यवस्थित करने के समूह को वर्णमाला कहते हैं। हिंदीहिन्दी में उच्चारण के आधार पर 45 वर्ण होते हैं। इनमें 10 स्वर और 35 व्यंजन होते हैं। लेखन के आधार पर 52 वर्ण होते हैं इसमें 13 स्वर , 35 व्यंजन तथा 4 संयुक्त व्यंजन होते हैं।
वर्णमाला के दो भाग होते हैं :-
1. स्वर
2. व्यंजन
1. स्वर क्या होता है :- जिन वर्णों को स्वतंत्रस्वतन्त्र रूप से बोला जा सके उसे स्वर कहते हैं। परम्परागत रूप से स्वरों की संख्या 13 मानी गई है लेकिन उच्चारण की दृष्टि से 10 ही स्वर होते हैं।
 
1. उच्चारण के आधार पर स्वर :-
 
अ, आ , इ , ई , उ , ऊ , ऋ , ए , ऐ , ओ , औ , अं , अः आदि।
 
2. लेखन के आधार पर स्वर :-
 
अ, आ, इ , ई , उ , ऊ , ऋ , ए , ऐ , ओ , औ , अं , अ: , ऋ, , आदि।
 
व्यंजन क्या होता है :- जो वर्ण स्वरों की सहायता से बोले जाते हैं उन्हें व्यंजन कहते हैं। हर व्यंजन के उच्चारण में अ स्वर लगा होता है। अ के बिना व्यंजन का उच्चारण नहीं हो सकता। वर्णमाला में कुल ३५39 व्यंजन होते हैं।
 
कवर्ग : क , ख , ग , घ , ङ
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संयुक्त व्यंजन : क्ष , त्र , ज्ञ , श्र
 
यह वर्णमाला देवनागरी लिपि में लिखी गई है। देवनागरी लिपि में संस्कृत , मराठी , कोंकणी , नेपाली , मैथिलि भाषाएँ लिखी जाती हैं। हिंदीहिन्दी वर्णमाला में ॠ , ऌ , ॡ , ळ का प्रयोग नहीं किया जाता है।
 
[[चित्र:書.svg|thumb|210px|यह [[चीनी भाषा]] का एक [[चीनी भावचित्र|चित्रलिपि-आधारित शब्द]] है, जिसका अर्थ 'किताब' या 'लेख' होता है - यह अक्षर नहीं है और इसका सम्बन्ध किसी ध्वनि से नहीं है - जापान में इसे "काकू" पढ़ा जाता है जबकि चीन में इसे "शू" पढ़ा जाता है]]
 
किसी एक भाषा या अनेक भाषाओं को लिखने के लिए प्रयुक्त मानक प्रतीकों के क्रमबद्ध समूह को '''वर्णमाला''' (=वर्णों की माला या समूह) कहते हैं। उदाहरण के लिए [[देवनागरी]] की वर्णमाला में अ आ इ ई उ ऊ ऋ ऋ लृ लृ् ए ऐ ओ औ अं अः  क  ख  ग  घ  ङ। च  छ  ज  झ  ञ। ट  ठ  ड  ढ  ण। त  थ  द  ध  न। प  फ  ब  भ  म। य  र  ल  व। श  ष  स  ह को 'देवनागरी वर्णमाला' कहते हैं और a b c d ... z को रोमन वर्णमाला (रोमन अल्फाबेट) कहते हैं।
 
वर्णमाला इस मान्यता पर आधारित है कि वर्ण, [[भाषा]] में आने वाली मूल ध्वनियों ([[स्वनिम]] या फ़ोनीम) का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये ध्वनियाँ या तो उन अक्षरों के वर्तमान उच्चारण पर आधारित होती हैं या फिर ऐतिहासिक उच्चारण पर। किन्तु वर्णमाला के अलावा लिखने के अन्य तरीके भी हैं जैसे शब्द-चिह्न (लोगोग्राफी), सिलैबरी आदि। शब्द-चिह्नन में प्रत्येक लिपि चिह्न पूरे-के-पूरे शब्द, [[रूपिम]] (morpheme) या सिमान्टिक इकाई को निरूपित करता है। इसी तरह सिलैबरी में प्रत्येक लिपि चिह्न किसी [[अक्षर]] (syllable (वर्ण नहीं)) को निरूपित करता है।
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वर्णमाला- वर्णों के समूह को वर्णमाला कहते हैं।
 
अन्य विधियों में [[चित्रलिपि|भावचित्रों]] का इस्तेमाल होता है (जैसा की [[चीनी भावचित्र]]ों में) या फिर चिह्न [[अक्षर|शब्दांशों]] को दर्शाते हैं। इसी तरह, प्राचीन मिस्री भाषा एक [[चित्रलिपि]] थी जिसमें किसी वर्णमाला का प्रयोग नहीं होता था क्योंकि उसकी लिपि का हर चिह्न एक शब्द या अवधारणा (कॉन्सॅप्टकॉन्सेप्ट) दर्शाता था।
 
== प्रकार ==