"विट्ठलनाथ": अवतरणों में अंतर
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विट्ठलनाथ जी के लिखे ग्रंथों में अणुभाष्य, यमुनाष्टक, सुबोधिनी की टीका, विद्वन्मंडल, भक्तिनिर्णय और शृंगाररसमंडन प्रसिद्ध हैं। शृंगाररसमंडन ग्रंथ द्वारा माधुर्य भक्ति की स्थापना में बहुत योग मिला। संवत् १६४२ वि. (सन् १५८५ ई.) में गिरिराज की एक गुफा में बैठकर इन्होंने इहलोक लीला समाप्त की।
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