"फीना": अवतरणों में अंतर
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फीना के कई लोग गैर राजनीतिक समाजसेवा में सक्रिय हैं। सार्वजानिक आर्य इंटर कालेज के प्रबंधक मनोज कुमार राजपूत ने फीना में स्वतंत्रता संग्राम स्मारक तथा सर्वे ऑफ़ इंडिया के कांटीनुअस ऑपरेटिंग रिफरेन्स सिस्टम के निर्माण में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई इन्हें वृक्षारोपण का भी शौक है। इंजीनियर नरेश चौहान ने नूरपुर बस अड्डे पर पेयजल और सार्वजानिक मूत्रालय का निर्माण कराया। चीफ इंजीनियर रहे विरेन्द्र सिंह चौहान तथा धीरेश बहादुर राजपूत ने अंत्येष्टि स्थल का निर्माण कराया। तेजेश्वरी देवी ने प्रवेश द्वार का निर्माण कराया। नरेश वत्स ने मेरा गाँव मेराअभिमान नमक मंच का गठन किया जिसने फीना के नौकरीपेशा लोगों की मदद से गाँव वालों को एक एम्बुलेंस खरीद कर भेंट की। फीना ग्राम कल्याण समिति ने स्वतंत्रता सेनानी कीर्ति स्तंभ निर्माण का ऐतिहासिक कार्य ग्राम प्रधान ममता राजपूत के सहयोग से कराया। कीर्ति स्तंभ निर्माण में हरीश कुमार चौहान, मनोज कुमार राजपूत, डॉ विश्वपाल सिंह, नरेश वत्स, ग्राम प्रधान ममता राजपूत, समर सिंह, इंजीनियर हेमंत कुमार<ref>{{Cite news|url=https://www.thecore.page/2020/01/jilaadhikaaree-dvaara-dee-kor-7R9kNB.html|title=}}</ref>, धीरेश बहादुर राजपूत, समशेर सिंह, ओमपाल सिंह, भूदेव सिंह, यशपाल सिंह ने अग्रणी भूमिका निभाई। इंजिनियर हरीश कुमार चौहान की अगुवाई में फीना ग्राम कल्याण समिति द्वारा गाँव में पहली बार अगस्त क्रांति दिवस का आयोजन और दशहरा मनाने की परंपरा को पुनर्जीवित करने की ऐतिहासिक शुरुआत की गयी। अलोक कुमार ने कोरोना महामारी के दौरान मास्क और अन्य आवश्यक सामान वितरित कराये। इन्होने अपनी माता जी के नाम से हाई स्कूल और इंटर की परीक्षाओं में सबसे अधिक नम्बर लाने वाले फीना मूल के बच्चों को पुरस्कृत करने की शुरुआत की। गाँव के अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं में प्रदीप कुमार, दिनेश कुमार प्रमुख हैं। इंजीनियर आलोक कुमार और इंजीनियर हेमन्त कुमार कई कई बार स्वेच्छिक रक्तदान कर चुके हैं। फीना के कई लोग कर्मचारी संघों के महत्वपूर्ण पदों पर रहे। फीना के जगदीप राजपूत गौतम बुद्ध नगर के हिन्दू युवा वाहिनी के जिला अध्यक्ष हैं।
फीना के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न इंजीनियर हेमंत कुमार (Engineer Hemant Kumar Village Pheena Bijnor) शोध, इतिहास,<ref>{{Cite news|url=https://bharatvanisamachar.com/2831/|title=}}</ref><ref>{{Cite news|url=https://www.thecore.page/2019/01/pheena-bijanaur-kee-svatantra-hNS3s5.html|title=}}</ref> <ref>{{Cite news|url=https://www.thecore.page/2019/03/graam-pheena-bijanaur-kee-svat-j6lKYD.html|title=}}</ref><ref>{{Cite news|url=https://www.thecore.page/2019/08/vayovrddh-svatantrata-sangraam-CFudhO.html|title=}}</ref><ref>{{Cite journal|last=ग्राम फीना में स्वतंत्रता आंदोलनों की लहर|title=|url=http://www.gjesr.com/Issues%20PDF/Archive-2019/July-2019/6.pdf|journal=}}</ref><ref>{{Cite web|url=https://www.thecore.page/2019/08/kaimare-kee-najar-mein-bijanau-q5JggW.html|title=}}</ref><ref>{{Cite web|url=https://www.thecore.page/2019/06/dee-kor-mein-apana-vivaran-de-oNLuUG.html|title=}}</ref><ref>{{Cite news|url=https://www.amarujala.com/uttar-pradesh/bijnor/asaf-ali-from-bijnor-was-one-who-took-the-case-of-sardar-bhagat-singh?pageId=1|title=}}</ref><ref>{{Cite news|url=https://www.livehindustan.com/uttar-pradesh/bijnor/story-the-historical-contribution-of-the-village-of-askaripur-in-the-freedom-movement-3809059.html|title=}}</ref>हिंदी विज्ञान लेखन<ref>{{Cite web|url=https://apnacolumn.blogspot.com/2020/07/21-by.html|title=}}</ref>, संपादन<ref>{{Cite web|url=https://www.thecore.page/2019/03/bhaarateey-navavarsh-aur-vikra--0isjt.html|title=}}</ref>, स्तंभ लेखक, पर्यावरण तथा नवाचार में क्रियाशील हैं और इन क्षेत्रों में काफी कार्य कर चुके हैं। इनकी
फीना में सामाजिक गतिविधियाँ खूब रहती हैं। वर्षाकाल में 20-25 दिनों तक नवमी का मेला लगता है, रामलीला का आयोजन कराया जाता है। श्री कृष्ण जन्माष्टमी गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस पर झाँकी निकली जाती हैं। 1930 से 1965 तक गाँव में आर्य समाज का बहुत प्रभाव था। चौधरी किढढा सिंह, अरुण जी, महाशय जी, रामकुमार सिंह, लाखन सिंह, प्रताप सैनी, सुरेन्द्र कुमार राजपूत क्षेत्र के जाने माने आर्य समाजी और कार्यकर्त्ता थे। 1990 के दशक से गायत्री परिवार का प्रभाव बढ़ गया, वर्तमान में यहाँ गायत्री शक्तिपीठ की स्थापना की गयी है। 1990 के दशक तक गाँव में आपसी विवाद निपटने के लिए पञ्च परमेश्वर परंपरा भी प्रचलित रही। रामऔतार सिंह, रामकुमार सिंह, हरिपाल सिंह शास्त्री, चौधरी धन सिंह, दुष्यंत सिंह, दलजीत सिंह, महावीर सिंह, शास्त्री जी, अवनीश कुमार आदि के पास लोग अपने विवाद निपटने चले जाते थे। अब यह प्रथा समाप्त सी हो गयी है।
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