"शिबू सोरेन": अवतरणों में अंतर

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पिता का नाम
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'''शिबू सोरेन''' (जन्म [[११ जनवरी]], [[१९४४]]) एक [[भारत|भारतीय]] राजनेता है।<ref name="gov">{{cite web|url=https://www.india.gov.in/my-government/indian-parliament/shibu-soren|title=Shibu Soren<nowiki>|</nowiki>National Portal of India|publisher=भारत सरकार|accessdate=3 सितम्बर 2018|archive-url=https://web.archive.org/web/20180903182948/https://www.india.gov.in/my-government/indian-parliament/shibu-soren|archive-date=3 सितंबर 2018|url-status=live}}</ref> वे [[झारखंड मुक्ति मोर्चा]] के अध्यक्ष है। [[२००४]] में [[मनमोहन सिंह]] की सरकार में वे कोयला मंत्री बने लेकिन [[चिरूडीह कांड]] जिसमें 11 लोगों की ह्त्या हुई थी के सिलसिले में गिरफ़्तारी का वारंट जारी होने के बाद उन्हें केन्द्रीय मंत्रीमंडल से 24 जुलाई 2004 को इस्तीफ़ा देना पड़ा। वे [[झारखण्ड|झारखंड]] के [[दुमका]] [[लोक सभा|लोकसभा]] सीट से छठी बार [[सांसद]] चुने गये हैं।<ref name="gov" />
 
शिबू का जन्म पुराने [[बिहार]] के [[हज़ारीबाग|हजारीबाग]] जिले में नामरा गाँव में हुआ था।<ref name="gov"/> उनकी स्कूली शिक्षा भी यहीं हुई। स्कूली शिक्षा समाप्त करने के बाद ही उनका विवाह हो गया और उन्होंने पिता को खेती के काम में मदद करने का निर्णय लिया।लिया | पिता शोभराम सोरेन कि हत्या की गयी थी । उनके राजनैतिक जीवन की शुरुआत [[१९७०|1970]] में हुई। उन्होंने [[२३ जनवरी|23 जनवरी]], [[१९७५|1975]] को उन्होंने तथाकथित रूप से [[जामताड़ा]] जिले के चिरूडीह गाँव में "बाहरी" लोगों ([[आदिवासी]] जिन्हें "दिकू" नाम से बुलाते हैं) को खदेड़ने के लिये एक हिंसक भीड़ का नेतृत्व किया था। इस घटना में 11 लोग मारे गये थे। उन्हें 68 अन्य लोगों के साथ हत्या का अभियुक्त बनाया गया।
 
शिबू पहली बार 1977 में लोकसभा के लिये चुनाव में खड़े हुये परन्तु पराजित हुए। 1980 में वे लोक सभा चुनाव जीते। इसके बाद क्रमश: 1986, 1989, 1991, 1996 में भी चुनाव जीते।<ref name="gov"/> 10 अप्रैल 2002 से 2 जून 2002 तक वे [[राज्य सभा|राज्यसभा]] के सदस्य रहे। 2004 में वे [[दुमका]] से लोकसभा के लिये चुने गये।