"गुरुकुल महाविद्यालय, ज्वालापुर": अवतरणों में अंतर

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'''गुरुकुल महाविद्यालय''', [[उत्तराखण्ड]] के [[हरिद्वार जिला|हरिद्वार जनपद]] के [[ज्वालापुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र, उत्तराखण्ड|ज्वालापुर]] में स्थित एक [[महाविद्यालय (कॉलेज)|महाविद्यालय]] है। इसकी स्थापना १९०७ में हुई थी। यह महाविद्यलय ज्वालापुर नामक उपनगर से आधा किमी दूरी पर भागीरथी की नहर के दक्षिणी तट पर रेलवे लाइन से बिल्कुल सटा हुआ, लोहे के पुल के दक्षिण की ओर सुविस्तृत एवं परम रमणीक भूमि में स्थित है।
 
गुरुकुल महाविद्यलय ज्वालापुर, उत्तराचंल प्रदेश में अवस्थित जनपद हरिद्वार के ज्वालापुर नामक उपनगर से आधा किमी दूरी पर भागीरथीमहाविद्यालय की नहर के दक्षिणी तट पर रेलवे लाइन से बिल्कुल सटा हुआ, लोहे के पुल के दक्षिण की ओर सुविस्तृत एवं परम रमणीक भूमि में स्थित है। इसकी स्थापना वैशाख शुक्ला 3 (अक्षय तृतीया) सम्वत 1964 वि0 (तदनुसार 30 जून सन् 1907 ई0) को दानवीर स्वर्गीय बाबू सीताराम जी, इंसपेक्टर ऑफ पुलिस ज्वालापुर, के सुरम्य उद्यान में [[संस्कृत भाषा|संस्कृत-शिक्षा]] के प्रचार एवं विलुप्त 'ब्रह्मचर्याश्रम’ प्रणाली के पुनरुद्धार के विशेष उद्देश्य को लेकर [[स्वामी दर्शनानन्द|स्वामी दर्शनानन्द जी सरस्वती]] के करकमलों द्वारा केवल तीन बीघा भूमि में बारह आने के स्थिर कोष से हुई थी।
 
इस महाविद्यालय की विशेषता है कि यह प्राचीन ब्रह्मचर्याश्रम प्रणाली के आधार पर आर्यसमाज के संस्थापक महर्षि [[दयानन्द सरस्वती]] द्वारा निर्दिष्ट पद्धति के अनुसार निर्धन एवं धनवान् छात्रो को सर्वथा समान भाव से वैदिक वाङ्मय की उच्चतम निःशुल्क शिक्षा देता है। शिक्षा का माध्यम आर्य-भाषा हिन्दी है। इस संस्था में [[वेद]], [[वेदांग]], [[उपनिषद्]], [[दर्शनशास्त्र]], [[संस्कृत साहित्य]], [[धर्मशास्त्र]] आदि प्राच्य विषयों के अतिरिक्त [[हिन्दी]], [[गणित]], [[विज्ञान]], [[सामाजिक विज्ञान]] (भूगोल, इतिहास, नागरिक शास्त्र), [[कंप्यूटर|कम्प्यूटर]] और [[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेजी]] भाषा की भी यथोचित शिक्षा दी जाती है। यहाँ से शिक्षा प्राप्त करके सहस्राधिक छात्र स्नातक बनकर देश के धार्मिक, सामाजिक, राजनैतिक, साहित्यिक आदि विभिन्न क्षेत्रों में बड़ी तत्परता और कुशलता के साथ कार्य कर रहे हैं। यह संस्था संस्कृत साहित्य के ज्ञान और उसके ठोस पाण्डित्य में अपना विशेष स्थान और प्रभाव रखती है।