"भाई परमानन्द": अवतरणों में अंतर

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जब भाई जी की भविष्यवाणी सत्य सिद्ध हुई तथा [[भारत का विभाजन|भारत विभाजन]] और पाकिस्तान के निर्माण की घोषणा हुई तो भाई जी के हृदय में एक ऐसी वेदना पनपी कि वे उससे उबर नहीं पाये तथा ८ दिसम्बर १९४७ को उन्होंने इस संसार से विदा ले ली।
 
भाई जी के सुपुत्र डॉ॰ [[भाई महावीर]] आज भी अपने पूज्य पिताश्री के पदचिन्हों पर चलते हुए राष्ट्र और हिन्दू समाज की सेवा में सक्रिय रहे। उनकी स्मृति को बनाये रखने के लिये [[दिल्ली]] में एक व्यापार अध्ययन संस्थान का नामकरण उनके नाम पर किया गया है। १९७९ में भारत सरकार ने उनकी स्मृति में डाक टिकट जारी किया।
 
== कृतियाँ ==