"अंतरराष्‍ट्रीय न्यायालय": अवतरणों में अंतर

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== क्षेत्राधिकार ==
अंतरर्राष्ट्रीयअन्तरराष्ट्रीय न्यायालय संविधि में सम्मिलित समस्त राष्ट्र अंतरर्राष्ट्रीयअन्तरराष्ट्रीय न्यायालय में वाद प्रस्तुत कर सकते हैं। इसका क्षेत्राधिकार संयुक्त राष्ट्र संघ के घोषणापत्र अथवा विभिन्न; संधियोंसन्धियों तथा अभिसमयों में परिगणित समस्त मामलों पर है। अंतरर्राष्ट्रीयअन्तरराष्ट्रीय न्यायालय संविधि में सम्मिलत कोई राष्ट्र किसी भी समय बिना किसी विशेष प्रसंविदा के किसी ऐसे अन्य राष्ट्र के संबंधसम्बन्ध में, जो इसके लिए सहमत हो, यह घोषित कर सकता है कि वह न्यायालय के क्षेत्राधिकार को अनिवार्य रूप में स्वीकार करता है। उसके क्षेत्राधिकार का विस्तार उन समस्त विवादों पर है जिनका संबंधसम्बन्ध संधिनिर्वचनसन्धिनिर्वचन, अंतरर्राष्ट्रीयअन्तरराष्ट्रीय विधि प्रश्न, अंतरर्राष्ट्रीयअन्तरराष्ट्रीय आभार का उल्लंघन तथा उसकी क्षतिपूर्ति के प्रकार एवं सीमा से है।
 
अंतरर्राष्ट्रीयअन्तरराष्ट्रीय न्यायालय को परामर्श देने का क्षेत्राधिकार भी प्राप्त है। वह किसी ऐसे पक्ष की प्रार्थना पर, जो इसका अधिकारी है, किसी भी विधिक प्रश्न पर अपनी सम्मति दे सकता है।
 
अंतर्राष्ट्रीयअन्तरराष्ट्रीय न्यायालय के अभियोग दो तरह के होते है : विवादास्पद विषय तथा परामर्शी विचार।
 
=== विवादास्पद विषय ===
इस तरह के मुकदमों में दोनो राज्य के लिए न्यायालय का निर्णय निभाना आवश्यक होता है। केवल राज्य ही विवादास्पद विषयों में शामिल हो सक्ते हैं : व्यक्यियांव्यक्यियाँ, गैर सरकारी संस्थाएंसंस्थाएँ, आदि ऐसे मुकदमों के हिस्से नहीं हो सकते हैं। ऐसे अभियोगों का निर्णय अंतराष्ट्रीयअन्तरराष्ट्रीय न्यायालय द्वारा तब ही हो सकता है जब दोनो देश सहमत हो। इस सहमति को जताने के चार तरीके हैं :
 
*1. '''विशेष संचिद''' : ऐसे मुकदमों में दोनो देश अपने आप निर्णय लेना अंतर्राष्ट्रीयअन्तरराष्ट्रीय न्यायालय को सौंपते हैं।
*2. '''माध्यमार्ग ''' : आज-कल की संधियोंसन्धियों में अक्सर एक शर्त डाली जाती है जिसके अनुसार, अगर उस संधिसन्धि के बारे में कोई संघर्ष उठे, तो अंतर्राष्ट्रीयअन्तरराष्ट्रीय न्यायालय को निर्णय लेने का अधिकार है।
*3. '''ऐच्छिक घोषणा''' : राज्यों को अधिकार है कि वे चाहे तो न्यायालय के हरप्रत्येक निर्णय को पहले से ही स्वीकृत करें।
*4. '''अंतर्राष्ट्रीयअन्तरराष्ट्रीय न्याय के स्थाईस्थायी न्यायालय का अधिकार''' : क्योंकि अंतर्राष्ट्रीयअन्तरराष्ट्रीय न्यायालय ने अंतर्राष्ट्रीयअन्तरराष्ट्रीय न्याय के स्थाईस्थायी न्यायालय की जगह ली थी, जो भी मुकदमें अंतर्राष्ट्रीयअन्तरराष्ट्रीय न्याय के स्थाईस्थायी न्यायालय के अधिकार-क्षेत्र में थे, वे सब अंतर्राष्ट्रीयअन्तरराष्ट्रीय न्यायालय के अधिकार-क्षेत्र में भी हैं।
 
=== परामर्शी विचार ===
परामर्शी विचार दूसरा तरीका है किसी मुकदमें को अंतर्राष्ट्रीयअन्तरराष्ट्रीय न्यायालय तक पहुंचानेपहुँचाने का। यह निर्णय सिर्फ न्यायालय की राय होते है, पर इन विचारों के सम्मान के कारण वह बहुत प्रभावशाली होते हैं।
 
== प्रक्रिया ==