'''गुरू जम्भेश्वर''' [[बिश्नोई]] संप्रदाय के संस्थापक थे। ये '''जाम्भोजी''' के नाम से भी जाने जाते है। इन्होंने 15081485 ईस्वी में '''[[बिश्नोई]] ''' पंथ की स्थापना की। 'हरि' नाम का वाचन किया करते थे। हरि[[विष्णु|भगवान विष्णु]] का एक नाम हैं। बिश्नोई शब्द मूल रूप से वैष्णवी शब्द से निकला है, जिसका अर्थ है :- विष्णु से सम्बंधित अथवा विष्णु के उपासक। गुरु जम्भेश्वर का मानना था कि [[भगवान]] सर्वत्र है। वे हमेशा [[वृक्ष|पेड़]] पौधों वन एवं वन्यजीवों सभी जानवरों पृथ्वी पर चराचर सभी जीव जंतुओं की रक्षा करने का संदेश देते थे। किसी प्रकार कि जीव हत्या को पाप मानते थें। शुद्ध शाकाहारी भोजन खाने कि बात समझाते थें। इन्होंने समराथल धोरा पर [[विक्रम संवत]] के अनुसार [[कार्तिक]] माह में 8 वर्ष तक बैठ कर तपस्या की थी।
इनका जन्म [[राजस्थान]] के [[नागौर]] परगने के पीपासर गांव में सन् 1451 में (विक्रम संवत 1508 भाद्रपद अष्टमी सोमवार) हुआ था।