"चन्द्रगुप्त मौर्य": अवतरणों में अंतर
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{{Infobox royalty
| name= सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य
| title= ''पियडंसन''
| image= Chandragupta Maurya and Bhadrabahu.png
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| issue= बिन्दुसार
| full name=चक्रवर्ती सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य,
| father= [[ सूर्यगुप्त स्वार्थसिद्धि मौर्य]]
| mother= मुरा
| birth_date= 340 ईसा पूर्व <!-- {{birth date and age|YYYY|MM|DD|df=y}} -->
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| death_place= [[श्रवणबेलगोला]], [[कर्नाटक]]
| burial_place=श्रवणबेलगोला कर्नाटक मैसूर चन्द्रगिरि पर्वत
| religion= [[ सनातन धर्म ]] और अंत में
[[जैन धर्म]] से मोक्ष प्राप्ति {{sfn|Mookerji|1966|pp=40–41}}
}}
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[[मेगस्थनीज]] ने चार साल तक चन्द्रगुप्त की सभा में एक यूनानी राजदूत के रूप में सेवाएँ दी। ग्रीक और लैटिन लेखों में , चंद्रगुप्त को क्रमशः सैंड्रोकोट्स और एंडोकॉटस के नाम से जाना जाता है।
चंद्रगुप्त मौर्य प्राचीन भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण राजा हैं। चन्द्रगुप्त के सिहासन संभालने से पहले, सिकंदर ने उत्तर पश्चिमी भारतीय उपमहाद्वीप पर आक्रमण किया था, और 324 ईसा पूर्व में उसकी सेना में विद्रोह की वजह से आगे का प्रचार छोड़ दिया, जिससे भारत-ग्रीक और स्थानीय शासकों द्वारा शासित भारतीय उपमहाद्वीप वाले क्षेत्रों की विरासत सीधे तौर पर चन्द्रगुप्त ने संभाली। चंद्रगुप्त ने अपने गुरु [[चाणक्य]] (
[[सिकंदर]] के आक्रमण के समय लगभग समस्त उत्तर भारत [[धनानंद]] द्वारा शासित था। [[चाणक्य]] तथा चंद्रगुप्त ने [[नंद वंश]] को उच्छिन्न करने का निश्चय किया अपनी उद्देश्यसिद्धि के निमित्त [[चाणक्य]] और चंद्रगुप्त ने एक विशाल विजयवाहिनी का प्रबंध किया। ब्राह्मण ग्रंथों में 'नंदोन्मूलन' का श्रेय चाणक्य को दिया गया है। [[अर्थशास्त्र (ग्रन्थ)|अर्थशास्त्र]] में कहा है कि सैनिकों की भरती चोरों, म्लेच्छों, आटविकों तथा शस्त्रोपजीवी श्रेणियों से करनी चाहिए। [[मुद्राराक्षस]] से ज्ञात होता है कि चंद्रगुप्त ने हिमालय प्रदेश के राजा पर्वतक से [[संधि]] की। चंद्रगुप्त की सेना में शक, यवन, किरात, कंबोज, पारसीक तथा वह्लीक भी रहे होंगे। [[प्लूटार्क]] के अनुसार सांद्रोकोत्तस ने संपूर्ण भारत को 6,00,000 सैनिकों की विशाल वाहिनी द्वारा जीतकर अपने अधीन कर लिया। जस्टिन के मत से भारत चंद्रगुप्त के अधिकार में था।
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'''हिन्दी अर्थ'''- मौर्यवंश नाम के क्षत्रियों में उत्पन्न श्री चंद्रगुप्त को चाणक्य नामक ब्राह्मण ने नवे घनानंद को चन्द्रगुप्त के हाथों मरवाकर संपूर्ण जम्मू दीप का राजा अभिषिक्त किया।
== सन्दर्भ ग्रन्थ ==
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