"दण्ड प्रक्रिया संहिता, १९७३ (भारत)": अवतरणों में अंतर
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कुछ प्रकार के मानव व्यवहार ऐसे होते हैं जिसकी कानून इजाजत नहीं देता। ऐसे व्यवहार करने पर किसी व्यक्ति को उनके परिणामों का सामना करना पड़ता है। खराब व्यवहार को अपराध या गुनाह कहते हैं और इसके परिणाम को दंड कहा जाता है। जिन व्यवहारों को अपराध माना जाता है उनके बारे में और हर अपराध से संबंधित दंड के बारे में ब्योरा मुख्यतया आइपीसी में दिया गया है।
जब कोई अपराध किया जाता है, तो सदैव दो प्रक्रियाएं होती हैं, जिन्हें पुलिस अपराध की जांच करने में अपनाती है। एक प्रक्रिया [https://web.archive.org/web/20170318001441/http://nyaaya.in/crpc-victim-in-hindi/ पीड़ित] के संबंध में और दूसरी [https://web.archive.org/web/20170320232420/http://nyaaya.in/crpc-accused-in-hindi/ आरोपी] के संबंध में होती है। सीआरपीसी में इन दोनों प्रकार की प्रक्रियाओं का ब्योरा दिया गया है।दंड प्रक्रिया संहिता के द्वारा ही अपराधी को दंड दिया जाता है !इसमें 37 अध्याय,484 धारा है(कुल धारा=528),अनुसूची 2, फॉर्म 56 प्रकार के है।
==कुछ प्रमुख धारायें==
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