"राजपुताना": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र: 1909.jpg|thumb|right|250px| [[राजस्थान]] पहले राज्य/क्षेत्र/प्रदेश के रूप में जाना जाता था। 1909 का ब्रिटिशकालीन नक्शा ]]
[[चित्र:Map rajasthan dist all shaded.png|thumb|right|250px|मौजूदा [[राजस्थान]] के ज़िलों का मानचित्र]]
'''राज्य/क्षेत्र/प्रदेश''' जिसे '''राजस्थान''' भी कहा जाता है। गुर्जरों के पश्चात गुर्जरात्रा( गुर्जरों के द्वारा रक्षित क्षेत्र) मे राजपूतों की राजनीतिक सत्ता आयी जिस कारण इसे राजपूताना कहा गया तथा ब्रिटिशकाल में यह राज्य/क्षेत्र/प्रदेश नाम से जाने जाना लगा।<ref>John Keay (2001). India: a history. Grove Press. pp. 231–232</ref> इस प्रदेश का आधुनिक नाम [[राजस्थान]] है, जो उत्तर [[भारत]] के पश्चिमी भाग में अरावली की पहाड़ियों के दोनों ओर फैला हुआ है। इसका अधिकांश भाग मरुस्थल है। यहाँ वर्षा अत्यल्प और वह भी विभिन्न क्षेत्रों में असमान रूप से होती है। यह मुख्यत: वर्तमान [[राजस्थान]] राज्य की भूतपूर्व रियासतों का समूह है, जो [[भारत]] का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। [[मीणा]] समाज राजस्थान का एक अहम हिस्सा है और यह जाति राजस्थान की सबसे बड़ी जनजाति है
 
== भौगोलिक स्थिति ==
3,43,328 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल वाले इस इलाक़े के दो भौगोलिक खण्ड हैं, '''अरावली पर्वत श्रृंखला का पश्चिमोत्तर क्षेत्र'''-जो अनुपजाऊ व ज़्यादातर रेतीला है। इसमें [[थार मरुस्थल]] का एक हिस्सा शामिल है और '''पर्वत श्रृंखला का दक्षिण-पूर्वी क्षेत्र'''-जो सामान्यत: ऊँचा तथा अधिक उपजाऊ है। इस प्रकार समस्त क्षेत्र एक ऐसे सघन अवरोध का निर्माण करता है, जिसमें उत्तर भारत के मैदान और प्रायद्वीपीय भारत के मुख्य पठार के मध्य स्थित पहाड़ी और पठारी क्षेत्र सम्मिलित हैं।
== राजस्थान का उदय ==
'''राज्य/क्षेत्र/प्रदेश में 23 राज्य''', एक सरदारी, एक जागीर और [[अजमेर]]-[[मेवाड़]] का ब्रिटिश ज़िला शामिल थे। शासक राजकुमारों में अधिकांश राजपूत,जाट व गुर्जर थे। ये राजपूताना के ऐतिहासिक क्षेत्र के राजपूत क्षत्रिय थे, जिन्होंने सातवीं शताब्दी में इस क्षेत्र में प्रवेश करना आरम्भ किया। [[जोधपुर]], [[जैसलमेर]], [[बीकानेर]], [[जयपुर]] और [[उदयपुर]] सबसे बड़े राज्य थे। 1947 में विभिन्न चरणों में इन राज्यों का एकीकरण हुआ, जिसके परिणामस्वरूप राजस्थान राज्य अस्तित्व में आया। दक्षिण-पूर्व राजपूताना के कुछ पुराने क्षेत्र मध्य प्रदेश और दक्षिण-पश्चिम में और कुछ क्षेत्र अब [[गुर्जरात्रागुजरात]] का हिस्सा हैं।
 
== इतिहास ==
'''भारत में मुसलमानों का राज्य''' स्थापित होने के पूर्व [[राजस्थान]] में कई शक्तिशाली क्षत्रिय जातियों के वंश शासन कर रहे थे और उनमें सबसे प्राचीन चालुक्य और राष्ट्रकूट थे। इसके उपरान्त [[कन्नौज]] के राठौरों (राष्ट्रकूट), [[अजमेर]] के चौहानों, अन्हिलवाड़ के सोलंकियों, [[मेवाड़]] के गहलोतों या सिसोदियों और जयपुर के कछवाहों ने इस प्रदेश के भिन्न-भिन्न भागों में अपने राज्य स्थापित कर लिये। क्षत्रिय जातियों में फूट और परस्पर युद्धों के फलस्वरूप वे शक्तहीन हो गए। यद्यपि इनमें से अधिकांश ने बारहवीं शताब्दी के अन्तिम चरण में सभी क्षत्रिय जातियों ने एकजुट होकर राजपूताना जातीय संघ का निर्माण किया मुसलमान आक्रमणकारियों का वीरतापूर्वक सामना किया, तथापि प्राय: राजपूताने के कुछ नाम मात्र राजवंशों को [[दिल्ली सल्तनत]] की पराधीनता स्वीकार करनी पड़ी।
==== राणा साँगा की पराजय ====
दिल्ली सल्तनत की सत्ता स्वीकार करने के बाद भी मुसलमानों की यह प्रभुसत्ता राजपूत शासकों को सदेव खटकती रही और जब कभी दिल्ली सल्तनत में दुर्बलता के लक्षण दृष्टिगत होते, वे अधीनता से मुक्त होने को प्रयत्नशील हो उठते। 1520 ई. में [[बाबर]] के नेतृत्व में मुग़लों के आक्रमण के समय राजपूताना दिल्ली के सुल्तानों के प्रभाव से मुक्त हो चला था और मेवाड़ के राणा [[राणा साँगा|संग्राम सिंह]] ने बाबर के दिल्ली पर अधिकार का विरोध किया। बयाना के युद्ध में [[राणा संगा]] ने बाबर को धूल चटाया 1526 ई. में खानवा के युद्ध में बाबर ने विश्वासघात किया इधर राजपूताने की तलवार लड़ रही थी उधर बाबर ने तोपों का इस्तेमाल किया। इस युद्ध में तोपों से तलवारे लड़ी थी, शुरू में राणा की पकड़ बनी रही युद्ध पर बाद में एक तीर आकर राणा के सर पर लगा जिससे वो मूर्छित हो गए और राणा की पराजय हुई और [[मुग़ल|मुग़लों]] ने दिल्ली के सुल्तानों का राजपूताने पर नाममात्र को बचा प्रभुत्व फिर से स्थापित कर लिया।