"गुरु": अवतरणों में अंतर
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मूलतः '''गुरु''' वह है जो [[ज्ञान]] दे। [[संस्कृत भाषा|संस्कृत]] भाषा के इस शब्द का अर्थ शिक्षक और उस्ताद से लगाया जाता है। इस आधार पर व्यक्ति का पहला गुरु माता-पिता को माना जाता है। दूसरा गुरु शिक्षक होता है जो अक्षर ज्ञान करवाता है। उसके बाद कई प्रकार के गुरु जीवन में आते हैं जो बुनियादी शिक्षाएं देते हैं। [[हिन्दू]] तथा [[सिख धर्म|सिक्ख धर्म]] में गुरु का अर्थ धार्मिक नेताओं से भी लगाया जाता है। [[सिखों के दस गुरू|सिक्खों के दस गुरु]] थे। आध्यात्मिक ज्ञान कराने वाले गुरु का स्थान इन सबमें ऊपर माना गया है।<ref>{{Cite web|url=https://www.britannica.com/topic/guru-Hinduism|title=Guru {{!}} Hinduism|website=Encyclopedia Britannica|language=en|access-date=2021-04-20}}</ref> हालांकि इस तथ्य को आधार बनाकर कई मौका परस्त कथित लालची गुरुओं ने इस महानतम गुरु की पदवी को बदनाम भी किया है जिनमें कई उजागर भी हो चुके हैं।<ref>{{Cite web|url=https://www.aajtak.in/india/delhi/story/delhi-saint-worried-after-grammeet-ram-rahim-case-460773-2017-08-31|title=गुरमीत राम रहीम कांड के बाद क्यों फिक्रमंद हैं दिल्लीवाले 'असली' बाबा...|website=आज तक|language=hi|access-date=2021-04-22}}</ref><ref>{{Cite web|url=https://m.patrika.com/miscellenous-india/know-bad-religious-guru-asaram-five-controversial-statement-2660119/|title=जानिए, बदनाम धर्मगुरु आसाराम के पांच विवादित बयान|last=Dhirendra|website=Patrika News|language=hi|access-date=2021-04-22}}</ref><ref>{{Cite web|url=https://punjabkesari.com/social-news/unknown-facts-about-radhe-maa-life/|title=एक चौथी पास लड़की कैसे बनी ‘राधे माँ’, जो कभी सिलाई करके करती थी गुज़ारा !|website=punjabkesari.com|access-date=2021-04-22}}</ref><ref>{{Cite web|url=https://www.aajtak.in/trending/story/Nirmal-Baba-exposed-as-a-fraud-117035-2012-04-13|title=आखिर क्या सच्चाई है निर्मल बाबा की?|website=आज तक|language=hi|access-date=2021-04-22}}</ref><ref>{{Cite web|url=https://www.pravakta.com/who-disgraces-dharma/|title=कौन करता है धर्म को बदनाम|date=2013-09-09|website=Pravakta.Com {{!}} प्रवक्ता.कॉम|language=en-US|access-date=2021-04-22}}</ref>
अब सवाल उठता है असली अर्थात सच्चे गुरु की पहचान कैसे हो! हमारे पवित्र धर्मग्रंथों में सच्चे आध्यात्मिक गुरु की गुरु की पहचान बताई गई है।हम जानने की कोशिश करते हैं कि क्या कहते हैं हमारे सद्ग्रंथ सच्चे गुरु के बारे में।
== श्रीमद् भगवद्गीता ==
श्रीमद्भागवत गीता में सच्चे गुरु को तत्वदर्शी संत कहकर व्याख्या की गई है<ref>{{Cite web|url=https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A3|title=महानिर्वाण - विकिपीडिया|website=hi.wikipedia.org|language=hi|access-date=2021-04-22}}</ref>। गीता अध्याय 15 श्लोक 1 में स्पष्ट हैः-
ऊर्धव मूलम् अधः शाखम् अश्वत्थम् प्राहुः अव्ययम्।
छन्दासि यस्य प्रणानि, यः तम् वेद सः वेदवित् ।।
अनुवाद: ऊपर को मूल (जड़) वाला, नीचे को तीनों गुण रुपी शाखा वाला उल्टा लटका हुआ संसार रुपी पीपल का वृक्ष जानो, इसे अविनाशी कहते हैं क्योंकि उत्पत्ति-प्रलय चक्र सदा चलता रहता है जिस कारण से इसे अविनाशी कहा है। इस संसार रुपी वृक्ष के पत्ते आदि छन्द हैं अर्थात् भाग (च्ंतजे) हैं। (य तम् वेद) जो इस संसार रुपी वृक्ष के सर्वभागों को तत्व से जानता है, (सः) वह (वेदवित्) वेद के तात्पर्य को जानने वाला है अर्थात् वह तत्वदर्शी सन्त है। जैसा कि गीता अध्याय 4 श्लोक 32 में कहा है कि परम अक्षर ब्रह्म स्वयं पृथ्वी पर प्रकट होकर अपने मुख कमल से तत्वज्ञान विस्तार से बोलते हैं।<ref>{{Cite web|url=https://bhagwadgita.jagatgururampalji.org/hi/the-knowledge-of-gita-is-nectar/what-is-the-identification-of-a-complete-saint-and-where-is-the-evidence-in-scriptures/|title=25. तत्वदर्शी सन्त की क्या पहचान है तथा प्रमाणित सद्ग्रन्थों में कहाँ प्रमाण है|website=bhagwadgita.jagatgururampalji.org|language=en|access-date=2021-04-22}}</ref>
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