"संख्या": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:NumberSetinC.svg|300px|thumb|right|[[समिश्र संख्या|समिश्र संख्याओं]] के उपसमुच्चय]]
'''हमारे मन में उठने वाले कितने के भाव को संख्या कहते हैं।अर्थात,कोई वस्तु कितने हैं?उसका जो जवाब आता है वही संख्या हैं। संख्याएँ''' वे गणितीय वस्तुएँ हैं जिनका उपयोग [[मापन|मापने]], [[अंक|गिनने]] और नामकरण करने के लिए किया जाता है। १, २, ३, ४ आदि [[प्राकृतिक संख्या]]एँ इसकी सबसे मूलभूत उदाहरण हैं। इसके अलावा [[वास्तविक संख्या]]एँ (जैसे १२.४५, ९९.७५ आदि) और अन्य प्रकार की संख्याएँ भी आधुनिक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में प्रयुक्त होतीं हैं। संख्याएँ हमारे जीवन के ढर्रे को निर्धरित करती हैं। [[केल्विन]] ने संख्याओं के बारे में कहा है कि आप किसी परिघटना के बारे में कुछ नहीं जानते यदि आप उसे संख्याओं के द्वारा अभिव्यक्त नहीं कर सकते।
 
जीवन के कुछ ऐसे क्षेत्रों में भी संख्याओं की अहमियत है जो इतने आम नहीं माने जाते। किसी धावक के समय में 0.001 सैकिंड का अंतर भी उसे स्वर्ण दिला सकता है या उसे इससे वंचित कर सकता है। किसी पहिए के व्यास में एक सेंटीमीटर के हजारवें हिस्से जितना फर्क उसे किसी घड़ी के लिए बेकार कर सकता है। किसी व्यक्ति की पहचान के लिए उसका टेलीफोन नंबर, राशन कार्ड पर पड़ा नंबर, बैंक खाते का नंबर या परीक्षा का रोल नंबर मददगार होते हैं।
 
संख्या के प्रकार :-
 
संख्या मुख्यत:दो प्रकार के होते हैं-
 
# वास्तविक संख्या(Real Number)
# अवास्तविक संख्या(Non-Real Number)
 
== संख्याओं का उद्भव ==