"मदनलाल ‘मधु’": अवतरणों में अंतर
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== जीवन-परिचय ==
[[पद्म श्री]] डॉ० मदन लाल मधु एक लेखक और कवि भी थे। उन्होंने [[अलेक्सांद्र पूश्किन|एलेक्ज़ैन्डर पुश्किन]] से लेकर [[लेव तोलस्तोय|लियो टॉल्स्टॉय]] की कृतियों का हिन्दी में अनुवाद किया था तथा कई भारतीय कार्यों का [[रूसी भाषा]] में अनुवाद किया था। डॉ० मदन लाल मधु को [[हिन्दी|हिंदी]] और [[रूसी भाषा|रूसी]] [[साहित्य]] के आधुनिक सेतु निर्माताओं में से एक हैं। ऐसा उनके सघन अनुवादों और शब्दकोश विषयक कार्यों के कारण कहा जाता है। वे सबसे पह्रूले रूस में 1957 में आए थे। तब से वे यहीं काम करते रहे थे। मास्को के प्रमुख प्रकाशन-गृह प्रगति एवं रादुगा प्रकाशन में लगभग चार दशकों तक संपादक-अनुवादक के पद पर रहते हुए उन्होंने सौ से अधिक कालजयी रूसी पुस्तकों, जिनमें पुश्किन, मयाकोस्की, तोल्स्तोय, गोर्की, चेखव, तुर्गनेव आदि का साहित्य सम्मिलित है, का हिंदी अनुवाद सुलभ कराया। प्रचुर मात्रा में रूसी लोक साहित्य तथा बाल साहित्य के लेखन-संकलन के साथ-साथ उन्होंने हिंदी-रूसी-शब्दकोश का निर्माण कर हिंदी छात्रों के लिए रूसी-सीखने का मार्ग प्रशस्त किया। हिंदी के रूसी अध्यापकों की अनेक प्रकार से सहायता करते हुए उन्होंने रूसी पत्रिका के हिंदी संस्करण का लंबे समय तक संपादन किया। इसके अतिरिक्त वे मास्को रेडियो से भी जुड़े रहे।
रूस में बसे भारतियों को एकजुट करने और रूस और भारत के सांस्कृतिक सम्बंध सुधारने के लिए मधु ने हिन्दुस्तानी समाज की नीव रखी और अधिकांशतः वे ही इस समाज के अध्यक्ष रहे।
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