लोग कहते हैं कि हम रोते नहीं, ये जरा साथ रहने वाले अंधेरो से पूछो. जिक्र मेरा भी होगा उनकी खामोशियों में।
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New poem by ankit
 
मसरूफ Ka mtlb (busy)
 
लोग कहते हैं कि हम रोते नहीं,
 
ये जरा साथ रहने वाले अंधेरो से पूछो.
 
जिक्र मेरा भी होगा उनकी खामोशियों में।