"शालिवाहन शक": अवतरणों में अंतर

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{सातवाहन राजवंश } सातवाहन वंश प्राचीन भारत का एक महान राजवंश है सातवाहन राजाओं ने 300 वर्षों तक शासन किया सातवाहन वंश की स्थापना 60 ईसा पूर्व राजा सिमुक ने की थी। सातवाहन वंश में राजा सिमुक ,शातकर्णी,गौतमीपुत्रशातकर्णी,वशिस्थिपुत्र,पुलुमावी शातकर्णी,यज्ञश्री शातकारणी प्रमुख राजा थे। प्रतिष्ठान सातवाहन वंश की राजधानी रही ,यह महाराष्ट्र के ओरंगाबाद जिले में है सातवाहन साम्राज्य की राजकीय भाषा प्राकृतिक वा लिपि ब्राम्ही थी। इस समय अमरावती कला का विकाश हुआ था। सातवाहन राजवंश में मातृसत्तात्मक प्...
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'''शालिवाहन शक''' जिसे '''[[शक संवत]]''' भी कहते हैं, हिंदू कैलेंडर, [[भारतीय राष्ट्रीय पंचांग|भारतीय राष्ट्रीय कैलेंडर]] और कम्बोडियन बौद्ध कैलेंडर के रूप मे प्रयोग किया जाता है। माना जाता है कि इसकी शुरुआत वर्ष 78 के वसंत विषुव के आसपास हुई थी।{{fact}}
[राजा शालीवाहन {गौतमीपुत्र शातकर्णी}]
 
"राजा शालीवाहन सातवाहन राजवंश के सबसे प्रतापी वा महान राजा थे,राजा शालीवाहन के शासन काल में यह राजवंश अपनी चरम सीमा पर था । राजा शालीवाहन की मां गौतमी प्रजापति(ब्राम्हण कुम्भार)थी राजा शालीवाहन का जन्म आदिसोसन की कृपा से हुआ था(मत्स्य पुराण के अनुसार)।
शालिवाहन राजा, [[शालिवाहन]] (जिसे कभी कभी गौतमीपुत्र शताकर्णी के रूप में भी जाना जाता है) को ''शालिवाहन शक'' के शुभारम्भ का श्रेय दिया जाता है जब उसने वर्ष 78 में उजयिनी के नरेश विक्रमादित्य को युद्ध मे हराया था और इस युद्ध की स्मृति मे उसने इस युग को आरंभ किया था।{{fact}}
राजा शालीवाहन का बचपन समस्याओं से भरा हुआ था परंतु राजा शालीवाहन को ईश्वर की घोर तपस्या के फलस्वरूप अनेकों वरदान प्राप्त हुए,जिससे राजा सलीवाहन ने राजपाठ और युद्ध के क्षेत्र में महारथ हासिल की इसलिए इन्हे दक्षिणपथ का स्वामी एवं वर्दिया(वरदान प्राप्त करने वाला) कहा जाता है"।
 
{सातवाहन राजवंश }
एक मत है कि, शक् युग उज्जैन, मालवा के राजा विक्रमादित्य के वंश पर शकों की जीत के साथ शुरु हुआ।राजा शालीवाहन को वरदान था कि वे किसी भी मिट्टी की मूरत को जीवित कर सकते थे उन्होंने मिट्टी की सेना बना कर उसे छिपा दिया था इन्द्र देव ने कई प्रयास किए सेना को नस्ट करने के लिए पर पूर्ण सफलता नहीं मिली । युद्ध के लिए राजा ने मिट्टी की सेना पर पानी के छीटें डालकर उसे जीवित कर लिया और विजय का विगुल बाजा दिया । इस जीत के बाद, शकों ने उस [[पश्चिमी क्षत्रप]] राज्य की स्थापना की जिसने तीन से अधिक सदियों तक इस क्षेत्र पर शासन किया।उनका पालन पोषण कुम्हार के घर हुआ था पर वे कुम्हार नहीं थे वर्तमान में उनका एक वंश वर्दिया के नाम से जाना जाता है जो कि विशुद्ध कुम्हार है अर्थात् इन्होंने मिट्टी के बर्तन बनाना प्रारंभ कर दिया था परन्तु वास्तविक रूप से ये क्षत्रिय है <ref>"The dynastic art of the Kushans", John Rosenfield, p130</ref>
सातवाहन वंश प्राचीन भारत का एक महान राजवंश है सातवाहन राजाओं ने 300 वर्षों तक शासन किया
सातवाहन वंश की स्थापना 60 ईसा पूर्व राजा सिमुक ने की थी। सातवाहन वंश में राजा सिमुक ,शातकर्णी,गौतमीपुत्रशातकर्णी,वशिस्थिपुत्र,पुलुमावी शातकर्णी,यज्ञश्री शातकारणी प्रमुख राजा थे। प्रतिष्ठान सातवाहन वंश की राजधानी रही ,यह महाराष्ट्र के ओरंगाबाद जिले में है सातवाहन साम्राज्य की राजकीय भाषा प्राकृतिक वा लिपि ब्राम्ही थी। इस समय अमरावती कला का विकाश हुआ था। सातवाहन राजवंश में मातृसत्तात्मक प्रचलन में था अर्थात राजाओं के नाम उनकी माता के नाम पर (गौतमीपुत्र शातकारणी)रखने की प्रथा थी लेकिन सातवाहन राजकुल पितृसत्तात्मक था क्योंकि राजसिंहासन का उत्तराधिकारी वंशानुगत ही होता था।
सातवाहन राजवंश के द्वारा अजंता एवं एलोरा की गुफाओं का निर्माण किया गया था। सातवाहन राजाओं ने चांदी,तांबे,सीसे,पोटीन और कांसे के सिक्कों का प्रचलन किया,ब्राम्हणों को भूमि दान करने की प्रथा का आरंभ सर्वप्रथम सातवाहन राजाओं ने किया था जिसका उल्लेख नानाघाट अभिलेख में है। वर्तमान में सातवाहन राजवंश की शाखाएं वराडिया (महाराष्ट्र,आंध्र),वर्दीय या वरदिया(उत्तर प्रदेश,मध्य प्रदेश,राजिस्थान)सवांसोलकीया(मध्य प्रदेश)आदि प्रमुख हैं {{fact}} <ref>"The dynastic art of the Kushans", John Rosenfield, p130</ref>
 
सन 1633 तक इसे [[जावा]] की अदालतों द्वारा भी प्रयुक्त किया जाता था, पर उसके बाद इसकी जगह '''अन्नो जावानिको''' ने ले ली जो जावानीस और इस्लामी व्यवस्था का मिला जुला रूप था।<ref>M.C. Ricklefs, ''A History of Modern Indonesia Since c. 1300, 2nd ed. Stanford: Stanford University Press, 1993, pages 5 and 46.</ref>