'''गुरू तेग बहादुर''' ([[ग्रेगोरियन कैलेंडर|ग्रेगोरी कैलेण्डर]]: [[१|1]] अप्रैल [[१६२१|1621]] – [[११|11]] नवंबरनवम्बर, [[१६७५|1675]]), ([[भारतीय राष्ट्रीय पंचांग|भारांग]]: [[११|11]] चैत्र [[१५४३|1543]] - [[२०|20]] कार्तिक [[१५९७|1597]] ) [[सिख|सिखों]] के नवें [[गुरु]] थे जिन्होने प्रथम [[गुरु नानक]] द्वारा बताए गये मार्ग का अनुसरण करते रहे। उनके द्वारा रचित 115 पद्य [[गुरु ग्रंथ साहिब]] में सम्मिलित हैं। उन्होने [[कश्मीरी पंडित|काश्मीरी पंडितों]] तथा अन्य हिंदुओं को बलपूर्वक मुसलमान बनाने का विरोध किया। इस्लाम स्वीकार न करने के कारण 1675 में मुगल शासक [[औरंगजेब]] ने उन्हे इस्लाम कबूल करने को कहा कि पर गुरु साहब ने कहा सीस कटा सकते है केश नहीं। फिर उसने गुरुजी का सबके सामने उनका सिर कटवा दिया। [[गुरुद्वारा शीश गंज साहिब]] तथा [[गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब]] उन स्थानों का स्मरण दिलाते हैं जहाँ गुरुजी की हत्या की गयी तथा जहाँ उनका अंतिम संस्कार किया गया। विश्व इतिहास में धर्म एवं मानवीय मूल्यों, आदर्शों एवं सिद्धांत की रक्षा के लिए प्राणों की आहुति देने वालों में गुरु तेग बहादुर साहब का स्थान अद्वितीय है।