"डोगरी भाषा": अवतरणों में अंतर

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'''डोगरी''' [[भारत]] के [[जम्मू (विभाग)|जम्मू]] ,[[हिमाचल प्रदेश|हिमाचल]] के [[काँगड़ा जिला|कांगड़ा]] और उत्तरी [[पंजाब क्षेत्र|पंजाब]] के कुछ ]] [[प्रांत|प्रान्त]] में बोली जाने वाली एक भाषा है। वर्ष 2003 में इसे भारतीय संविधान की [[आठवीं अनुसूची]] में शामिल किया गया है। पश्चिमी पहाड़ी बोलियों के परिवार में, मध्यवर्ती पहाड़ी पट्टी की जनभाषाओं में, डोगरी, चंबयाली, मडवाली, मंडयाली, बिलासपुरी, बागडी आदि उल्लेखनीय हैं।
 
डोगरी इस विशाल परिवार में कई कारणों से विशिष्ट जनभाषा है। इसकी पहली विशेषता यह है कि दूसरी बोलियों की अपेक्षा इसके बोलनेवालों की संख्या विशेष रूप से अधिक है। दूसरी यह कि इस परिवार में केवल डोगरी ही साहित्यिक रूप से गतिशील और सम्पन्न है। डोगरी की तीसरी विशिष्टता यह भी है कि एक समय यह भाषा कश्मीर रियासत तथा चंबा राज्य में राजकीय प्रशासन के अंदरूनी व्यवहार का माध्यम रह चुकी है। इसी भाषा के संबंध से इसके बोलने वाले डोगरे कहलाते हैं तथा डोगरी के भाषाई क्षेत्र को सामान्यतः "डुग्गर" कहा जाता है।