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'''राष्ट्रपति शासन''' (या केन्द्रीय शासन) [[भारत]] में शासन के संदर्भ में प्रयोग की जाने वाला एक पारिभाषिक शब्द है, जब किसी [[राज्य सरकार]] को भंग या निलंबित कर दिया जाता है और राज्य प्रत्यक्ष संघीय शासन के अधीन आ जाता है। [[भारत का संविधान |भारत के संविधान]] का [[अनुच्छेद -356]], केंद्र की संघीय सरकार को राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता या या संविधान के स्पष्ट उल्लंघन की दशा में उस राज्य सरकार को बर्खास्त कर उस राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने का अधिकार देता है। राष्ट्रपति शासन उस स्थिति में भी लागू होता है, जब राज्य [[विधानसभा]] में किसी भी पार्टीदल या गठबंधन को स्पष्ट बहुमत नहीं हो।
 
सत्तारूढ़ पार्टी या केंद्रीय (संघीय) सरकार की सलाह पर, [[राज्यपाल]] अपने विवेक पर सदन को भंग कर सकते हैं, यदि सदन में किसी पार्टी या गठबंधन के पास स्पष्ट बहुमत ना हो। राज्यपाल सदन को छह महीने की अवधि के लिए ‘निलंबित अवस्था' मे रख सकते हैं। छह महीने के बाद, यदि फिर कोई स्पष्ट बहुमत प्राप्त ना हो तो उस दशा में पुन: चुनाव आयोजित किये जाते हैं।
 
इसे राष्ट्रपति शासन इसलिए कहा जाता है क्योंकि, इसके द्वारा राज्य का नियंत्रण बजाय एक निर्वाचित मुख्यमंत्री के, सीधे [[भारत का राष्ट्रपति| भारत के राष्ट्रपति]] के अधीन आ जाता है, लेकिन प्रशासनिक दृष्टि से राज्य के राज्यपाल को केंद्रीय सरकार के द्वारा कार्यकारी अधिकार प्रदान किये जाते हैं। प्रशासन में मदद करने के लिए राज्यपाल आम तौर पर सलाहकारों की नियुक्ति करता है, जो आम तौर पर सेवानिवृत्त सिविल सेवक हो सकतेहोते हैं। आमतौर पर इस स्थिति मे राज्य में केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी की नीतियों का अनुसरण होता है।
 
== अनुच्छेद-356 ==
 
 
== अनुच्छेद-355 ==
 
 
== संदर्भ ==
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== यह भी देखें ==