"सरना धर्म": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
रोहित साव27 (वार्ता | योगदान) छो 2401:4900:51D7:7B3E:9120:1559:15F8:2966 (Talk) के संपादनों को हटाकर Bijendra Hansda Purudhul के आखिरी अवतरण को पूर्ववत किया टैग: वापस लिया |
छो ऑटोमैटिड वर्तनी सुधार |
||
पंक्ति 67:
देश का प्रथम जनगणना 1872 में हिन्दू, मुसलमान, इसाई, जैन, बौद्द, पारसी, यहूदी की गणना हुई, सरना की नहीं. 1891 में आदिवासियों को प्रकृतिवादी के रूप में जनगणना में जगह दिया गया. 1901, 1911, 1921, 1931 और 1941 में जनजातीय समुदाय का नाम लिखा गया. 1951 में अन्य धर्म की श्रेणी में जनजातीय धर्म का अलग से पहचान को अंकित किया गया. 1961 में अधिसूचित धर्मों(हिन्दू, मुसलमान, सिख, इसाई, जैन, बौद्द) के संक्षिप्त नाम को कोड के रूप में लिखा गया लेकिन जनजातीय समुदाय को अन्य धर्म अंतर्गत विलोपित कर दिया गया. 1971 में सिर्फ अधिसूचित धर्मों का ही रिपोर्ट प्रकाशित किया गया. 1981 में धर्म के पहले अक्षर को कोड के रूप में अंकित किया गया, सरना विलोपित रहा. 2001 और 2011 में अधिसूचित धर्मों को 1 से 6 का कोड दिया गया, जनजातियों को अन्य धर्म की श्रेणी में रखा गया लेकिन कोड प्रकाशित नहीं किया गया.
अब यदि हम सरना की मान्यता और शुरुआत कैसे हुई? इस पर बात करेंगे तो पाएंगे कि मुन्डा और हो जनजाति में इसके सम्बन्ध में एक पौराणिक कथा चलती
आज भी हो समाज के बहा पर्व में जयरा में पूजा पाठ कर वापस गाँव आने की प्रक्रिया में साल पेड़ की टहनी जमीन पर गाड़ कर निशाना लगाने का दस्तूर
सांस्कृतिक पहचान एक बहुत ही अमूल्य धरोहर है आदिवासियों के लिए, लेकिन आज हम धर्म और राजनीती के चक्कर में अपने मूल स्वरुप को खो सा दिए हैं, इसीलिए अपनी पहचान की स्पष्ट परिभाषा खोज पाने में असमर्थ होने की स्थिति में हम दूसरों की संस्कृति को अपना समझ और मान कर अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहे हैं, आत्महत्या कर रहे हैं
''' सरना धर्म या संस्कृति '''
मैं सरना को धर्म नहीं वरन आदिवासी जीवन जीने की पद्दति मानता हूँ. और जिस कोड की बात जनगणना में हो रही है वह वास्तव में पहचान कोड की
2011 जनगणना के C1 Annexure में हिन्दू का धर्म कोड 100000 है और सेक्ट कोड 000000
''' अंतराष्ट्रीय आदिवासी दिवस क्या है और हमें क्यों मनाना चाहिए '''
|