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== लैला-मजनूं ==
अरबी संस्कृति में दुखांत प्रेम कहानियों की पूरी
अरब और हबीब लोकसाहित्य से लेकर फारसी साहित्य तक यह प्रेम कथा कई रूपों में सामने आई। आम लोग इसे निजामी के पर्सियन संस्करण से ही जानते हैं। कहा जाता है कि रोमियो-जूलियट की कहानी लैला-मजनूं का ही लैटिन संस्करण है।
== हीर-रांझा ==
पंजाब की धरती पर कई प्रेम कथाओं का जन्म हुआ, जिनमें वारिस शाह रचित हीर को साहित्यिक जगत के लोग बखूबी जानते हैं। अमीर परिवार की खूबसूरत हीर ने प्रेम किया रांझा से। रांझा अपने चार भाइयों में सबसे छोटा था, भाइयों से विवाद के बाद वह घर छोडकर भाग गया और हीर के गांव तक आ पहुंचा। हीर के घर में वह पशुओं की रखवाली करने लगा। दोनों के बीच प्रेम हुआ और कई वर्षो तक दोनों मिलते रहे, लेकिन हीर के ईष्र्यालु चाचा कैदो और माता-पिता के कारण दोनों का विवाह नहीं हो सका, हीर का विवाह अन्यत्र कर दिया गया। रांझा जोगी हो गया और अलख निरंजन कहकर गांव-गांव फिरने लगा। जोगी रूप में एक बार फिर वह हीर से मिला। दोनों भाग गए लेकिन पुलिस ने उन्हें पकड लिया। लेकिन उसी रात पूरे शहर में आग लग गई। घबराए हुए महाराजा ने प्रेमियों को आजाद कर दिया और उन्हें विवाह की इजाजत दे दी। दोनों हीर के गांव वापस आए, इस बार माता-पिता उनके विवाह पर राजी हो गए। विवाह के दिन हीर के ईष्र्यालु चाचा कैदो ने हीर को विष खिला दिया, रांझा ने उसे बचाने की बहुत कोशिश की किंतु हीर न बच सकी। हीर के
== सोहणी-महिवाल ==
पंजाब की ही धरती पर उगी एक अन्य प्रेम कथा है सोहनी-महिवाल की। सिंधु नदी के तट पर रहने वाले कुम्हार तुला की बेटी थी सोहनी। वह कुम्हार द्वारा बनाए गए बर्तनों पर सुंदर चित्रकारी करती थी। उजबेकिस्तान स्थित बुखारा का धनी व्यापारी इज्जत बेग व्यापार के सिलसिले में भारत आया, सोहनी से मिलने पर वह उसके सौंदर्य पर आसक्त हो उठा। सोहनी को देखने के लिए वह रोज सोने की मुहरें जेब में भरकर कुम्हार के पास आता और बर्तन खरीदता। सोहनी भी उसकी तरफ आकर्षित हो गई। वह सोहनी के पिता के घर में नौकरी करने लगा, उसका नाम महिवाल पड गया, क्योंकि वह भैंसें चराने लगा। जब उनके प्रेम के किस्से आसपास फैले तो तुला ने सोहनी को बिना बताए उसकी शादी किसी कुम्हार से कर दी। महिवाल अपना घर, देश भूलकर फकीर हो गया। मगर दोनों प्रेमियों ने मिलना न छोडा। रोज जब रात में सारी दुनिया सोती, सोहनी नदी के उस पार महिवाल का इंतजार करती, जो तैरकर उसके पास आता। महिवाल बीमार हुआ तो सोहनी एक पक्के घडे की मदद से तैरकर उससे मिलने पहुंचने लगी। उसकी ननद ने एक बार उन्हें देख लिया तो उसनेपक्के घडे की जगह कच्चा घडा रख दिया। सोहनी घडे द्वारा नदी पार करने लगी तो डूब गई। महिवाल उसे बचाने के लिए नदी में कूदा, वह भी डूब गया। इस तरह यह
== ढोला-मारु ==
राजपूत प्रेम की गाथा है ढोला-मारु। पूगल का शासक था पिंगल। उसने अपनी नन्ही पुत्री मारु का बाल विवाह नरवार के राजा नल के पुत्र ढोला से कर दिया। बडे होने पर उसे विदा किया जाना था। ढोला
== शीरीं-फरहाद ==
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