"यास्क": अवतरणों में अंतर

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'''यास्क''' वैदिक संज्ञाओं के एक प्रसिद्ध [[व्युत्पत्तिशास्त्र|व्युत्पतिकार]] एवं [[वैयाकरण]] थे। इनका समय महाभारत काल के पूर्व का था.शान्तिपर्व अध्याय ३४२ का सन्दर्भ इसमें प्रमाण है। इन्हें निरुक्तकार कहा गया है। [[निरुक्त]] को तीसरा [[वेदाङ्ग]] माना जाता है। यास्क ने पहले '[[निघण्टु]]' नामक वैदिक शब्दकोश को तैयार किया। निरुक्त उसी का विशेषण है। निघण्टु और निरुक्त की विषय समानता को देखते हुए [[सायणाचार्य]] ने अपने 'ऋग्वेद भाष्य' में निघण्टु को ही निरुक्त माना है। 'व्याकरण शास्त्र' में निरुक्त का बहुत महत्वमहत्त्व है।
 
==योगदान==
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4. निपात
यास्क ने सत्व विद्या से सम्बंधित दो वर्गों को एक किया : क्रिया या कार्य (भाव:) , तत्वतत्त्व या जीव (सत्व:)। इसके बाद सर्वप्रथम इन्होंने क्रिया का वर्णन किया जिसमें भाव:( क्रिया) प्रबल होता है जबकि दूसरी ओर सत्व: (वस्तु) प्रबल होता है।
 
==सन्दर्भ==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/यास्क" से प्राप्त