"यमुनोत्री": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
रोहित साव27 (वार्ता | योगदान) छो 122.172.191.244 (Talk) के संपादनों को हटाकर EatchaBot के आखिरी अवतरण को पूर्ववत किया टैग: वापस लिया |
छो ऑटोमैटिड वर्तनी सुधार |
||
पंक्ति 1:
{{wikify}}
[[File:Yamuna at Yamunotri.JPG|thumb|यमुनोत्री में यमुना का शिशुरूप]]
'''यमुनोत्री''' [[उत्तरकाशी]] जिले में समुद्रतल से 3235 मी.
== अवस्थिति ==
पंक्ति 18:
अर्थात ''(जहाँ से [[यमुना नदी|यमुना]] (नदी) निकली है वहां स्नान करने और वहां का जल पीने से मनुष्य पापमुक्त होता है और उसके सात कुल तक पवित्र हो जाते हैं!)''
== सूर्य-पुत्री ==
[[सूर्यतनया]] का शाब्दिक अर्थ है [[सूर्य]] की पुत्री अर्थात् [[यमुना नदी|यमुना]]। पुराणों में यमुना सूर्य-पुत्री कही गयी हैं। [[सूर्य]] की [[छाया]] और [[संज्ञा]] नामक दो पत्नियों से यमुना, [[यम]], [[शनि]]देव तथा [[वैवस्वत मनु]] प्रकट हुए। इस प्रकार यमुना [[यमराज]] और [[शनि (ज्योतिष)|शनिदेव]] की बहन हैं। [[भ्रातृ द्वितीया]] ([[भैयादूज]] | [[यम द्वितीया|भाई दूज]]) पर यमुना के दर्शन और [[मथुरा]] में स्नान करने का विशेष
''प्रयागकूले यमुनातटे वा सरस्वती पुण्यजले गुहायाम्।
पंक्ति 26:
== इतिहास ==
एक पौराणिक गाथा के अनुसार यह असित
== भूगोल ==
पंक्ति 35:
मंदिर प्रांगण में एक विशाल शिला स्तम्भ है जिसे दिव्यशिला के नाम से जाना जाता है। यमुनोत्री मंदिर परिशर 3235 मी. उँचाई पर स्थित है। यँहा भी मई से अक्टूबर तक श्रद्धालुओं का अपार समूह हरवक्त देखा जाता है। शीतकाल में यह स्थान पूर्णरूप से हिमाछादित रहता है। मोटर मार्ग का अंतिम विदुं हनुमान चट्टी है जिसकी ऋषिकेश से कुल दूरी 200 कि. मी. के आसपास है। हनुमान चट्टी से मंदिर तक 14 कि. मी. पैदल ही चलना होता था किन्तु अब हलके वाहनों से जानकीचट्टी तक पहुँचा जा सकता है जहाँ से मंदिर मात्र 5 कि. मी. दूर रह जाता है।
देवी यमुना की तीर्थस्थली, यमुना नदी के स्रोत पर स्थित है। यह तीर्थ गढवाल हिमालय के पश्चिमी भाग में स्थित है। इसके शीर्ष पर बंदरपूंछ चोटी (3615 मी) गंगोत्री के सामने स्थित है। यमुनोत्री का वास्तविक स्रोत बर्फ की जमी हुई एक झील और हिमनद (चंपासर ग्लेसियर) है जो समुद्र तल से 4421 मीटर की ऊँचाई पर कालिंद पर्वत पर स्थित है। इस स्थान से लगभग 1 किमी आगे जाना संभव नहीं है क्योंकि यहां मार्ग अत्यधिक दुर्गम है। यही कारण है कि देवी का मंदिर पहाडी के तल पर स्थित है। देवी यमुना माता के मंदिर का निर्माण, टिहरी गढवाल के महाराजा प्रताप शाह द्वारा किया गया था। अत्यधिक संकरी-पतली युमना काजल हिम शीतल है। यमुना के इस जल की परिशुद्धता, निष्कलुशता एवं पवित्रता के कारण भक्तजनों के ह्दय में यमुना के प्रति अगाध श्रद्धा और भक्ति उमड पड़ती है। पौराणिक आख्यान के अनुसार असित मुनि की पर्णकुटी इसी स्थान पर थी। देवी यमुना के मंदिर तक चढ़ाई का मार्ग वास्तविक रूप में दुर्गम और रोमांचित करनेवाला है। मार्ग पर अगल-बगल में स्थित गगनचुंबी, मनोहारी नंग-धडंग बर्फीली चोटियां तीर्थयात्रियों को सम्मोहित कर देती हैं। इस दुर्गम चढ़ाई के आस-पास घने जंगलो की
== यमुनोत्री का प्रधान मंदिर ==
|