"राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा": अवतरणों में अंतर

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एक राष्ट्र और एक राष्ट्रभाषा का पवित्र संकल्प लेकर गाँधीजी ने इस समिति की प्राण प्रतिष्‍ठा की और उनकी परिकल्पनाओं को मूर्त रूप देने में [[राजेन्द्र प्रसाद|डॉ राजेन्द्र प्रसाद]], [[जवाहरलाल नेहरू]], नेताजी [[सुभाष चन्द्र बोस|सुभाषचन्द्र बोस]], [[वल्लभ भाई पटेल]], [[जमनालाल बजाज]], [[चक्रवर्ती राजगोपालाचारी]], [[पुरुषोत्तम दास टंडन]], [[काका कालेलकर|काकासाहब कालेलकर]], [[माखनलाल चतुर्वेदी]], [[नरेन्द्र देव|आचार्य नरेन्द्र देव]] आदि महापुरुषों ने जो अथक परिश्रम किया, वह इतिहास के पन्नों पर सुनहरे अक्षरों में लिखा गया है।
 
उस समिति का कार्यक्षेत्र प्रमुख रूप से [[गुजरात]], [[मुम्बई]], [[विदर्भ]], [[मराठवाडा]], [[मध्य प्रदेश|मध्यप्रदेश]], [[छत्तीसगढ़|छत्तीसगढ]], [[झारखण्ड|झारखंड]], [[राजस्थान]], [[दिल्ली]], [[असम]], [[अरुणाचल प्रदेश|अरूणाचल प्रदेश]], [[नागालैण्ड]], [[मेघालय]], [[मिज़ोरम|मिजोरम]], [[मणिपुर]], [[त्रिपुरा]], [[सिक्किम]], [[बंगाल]], [[ओडिशा|उत्कल]], [[जम्मू और कश्मीर]], [[अण्डमान और निकोबार द्वीपसमूह|अन्दमान-निकोबार]], [[गोवा]], [[हरियाणा]] आदि प्रदेश हैं, अर्थातअर्थात् दक्षिण के चार राज्यों के अलावा शेष भारत। उसी तरह विदेश में जैसे दक्षिण अफ्रीका, पूर्व अफ्रीका, अमेरिका, सुरीनाम, अरब, सुडान, इटली, मॉरिशस, जपान, म्यॉमा (बर्मा), नीदरलैण्ड, फीजी द्वीप, युनाइटेड किंग्डम, जर्मनी, थाईलैण्ड, बेहरीन, मस्कत, जावा, श्रीलंका आदि भी है।
 
== संस्था के प्रमुख उद्देश्य ==
* संपूर्ण भारत में, आवश्यकतानुसार विदेश में [https://web.archive.org/web/20160303083531/http://rashtrabhasha.org.in/ राष्ट्रभाषा हिन्दी का प्रचार] - प्रसार करना और देशव्यापी व्यवहारों और कार्यों के लिए सुविधा प्रदान करना। राष्ट्रभाषा की परीक्षाओं का संचालन। पाठ्यपुस्तकें आदि का निर्माण व प्रकाशन। भावत्मक एकता के लिए भाषाईभाषायी सहयोग द्वारा अनुकूल वातावरण तैयार कर भारतीय भाषाओं के बीच सामंजस्य स्थापित करना।
 
* [[भारत का संविधान|भारतीय संविधान]] की धारा ३४३ और ३५१ के अनुसार भारत गणराज्य द्वारा स्वीकृत राष्ट्रलिपि [[देवनागरी]] में लिखी जानेवाली राष्ट्रभाषा हिन्दी का संपूर्ण भारत में प्रचार प्रसार तथा विकास करना और देशव्यापी व्यवहार और कार्यों के लिए सुविधा प्रदान करना।
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* हिन्दी प्रचारकों, केन्द्र व्यवस्थापकों तथा हिन्दी प्रेमियों को राष्ट्रभाषा प्रचार की गतिविधियों की जानकारी देने के लिए मासिक पत्रिका का प्रकाशन करना।
 
* भारतीय संविधान की धारा ३५१ के अनुसार भारत की सामासिक संस्कृति की वाहक राष्ट्रभाषा को संस्कृत तथा भारत की अन्य समृद्ध भाषाओं के सहयोग से इसकी शब्दसमृद्धि करते हुए भारत की राष्ट्रीय चेतना को जागृतजाग्रत करने के लिए प्राणवान भाषा बनाना।
 
* हिन्दी [[साहित्य]] तथा ज्ञान विज्ञान की अभिवृद्धि के लिए उपयोगी मौलिक [[पुस्तकें]] लिखवाना तथा अन्य भारतीय भाषा के उत्कृष्ट साहित्य का हिन्दी में अनुवाद करना तथा उसे प्रकाशित करना।