"भाषा": अवतरणों में अंतर
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== परिभाषा ==
भाषा को प्राचीन काल से ही परिभाषित करने की कोशिश की जाती रही है। इसकी कुछ मुख्य
* '''(1)''' 'भाषा' शब्द संस्कृत के 'भाष्' [[धातु]] से बना है जिसका अर्थ है बोलना या कहना अर्थात् भाषा वह है जिसे बोला जाए।
* '''(2)''' [[प्लेटो]] ने सोफिस्ट में विचार और भाषा के
* '''(3)''' [[स्वीट]] के अनुसार ध्वन्यात्मक शब्दों द्वारा विचारों को प्रकट करना ही भाषा है।
* '''(4)'''
* '''(5)''' [[ब्लाक]] तथा [[ट्रेगर]]- भाषा यादृच्छिक भाष् प्रतिकों का
* '''(6)''' [[स्त्रुत्वा]] – भाषा यादृच्छिक भाष् प्रतीकों का
* '''(7)''' इनसाइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका - भाषा को यादृच्छिक भाष् प्रतिकों का
* '''(8)''' ए. एच. गार्डिबर का
* '''(9)''' ‘‘भाषा यादृच्छिक वाचिक ध्वनि-संकेतों की वह पद्धति है, जिसके द्वारा मानव परम्परा विचारों का आदान-प्रदान करता है।’’<ref>''A language is a system of arbitrary vocal symbols by means of which a social group co-operates''. - Outlines of linguistic analysis, b. Block and G.L. Trager, page 5.</ref> स्पष्ट ही इस कथन में भाषा के लिए चार बातों पर ध्यान दिया गया है-
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:: (2) भाषा संकेतात्कम है अर्थात् इसमे जो ध्वनियाँ उच्चारित होती हैं, उनका किसी वस्तु या कार्य से सम्बन्ध होता है। ये ध्वनियाँ संकेतात्मक या प्रतीकात्मक होती हैं।
:: (3) भाषा वाचिक ध्वनि-संकेत है, अर्थात् मनुष्य अपनी वागिन्द्रिय की सहायता से संकेतों का उच्चारण करता है, वे ही भाषा के
:: (4) भाषा यादृच्छिक संकेत है। यादृच्छिक से तात्पर्य है - ऐच्छिक, अर्थात् किसी भी विशेष ध्वनि का किसी विशेष अर्थ से मौलिक अथवा दार्शनिक सम्बन्ध नहीं होता। प्रत्येक भाषा में किसी विशेष ध्वनि को किसी विशेष अर्थ का वाचक ‘मान लिया जाता’ है। फिर वह उसी अर्थ के लिए रूढ़ हो जाता है। कहने का अर्थ यह है कि वह परम्परानुसार उसी अर्थ का वाचक हो जाता है। दूसरी भाषा में उस अर्थ का वाचक कोई दूसरा शब्द होगा।
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विकास की प्रक्रिया में भाषा का दायरा भी बढ़ता जाता है। यही नहीं एक समाज में एक जैसी भाषा बोलने वाले व्यक्तियों का बोलने का ढंग, उनकी उच्चारण-प्रक्रिया, शब्द-भण्डार, वाक्य-विन्यास आदि अलग-अलग हो जाने से उनकी भाषा में पर्याप्त अन्तर आ जाता है। इसी को '''शैली''' कह सकते हैं।भाषा वह साधन है, जिसके द्वारा मनुष्य बोलकर, सुनकर, लिखकर व पढ़कर अपने मन के भावों या विचारों का आदान-प्रदान करता है।
दूसरे शब्दों में- जिसके द्वारा हम अपने भावों को लिखित अथवा कथित रूप से दूसरों को समझा सके और दूसरों के भावो को समझ सके उसे भाषा कहते
== बोली, विभाषा, भाषा और राजभाषा ==
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