"चित्रित धूसर मृद्भाण्ड संस्कृति": अवतरणों में अंतर

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== भौगोलिक विस्तार ==
इस संस्कृति को पहली बार 1940 में खुदाई केेे दौरान [[अहिच्छत्र]] ([[बरेली जिला|बरेली जिले]]) में खोजा गया था। भारत में अब तक इस संस्कृति से संबंधित लगभग 1161 पुरातात्विक स्थल खोजे जा चुके हैं। मुख्य रूप सेेेे यह [[उत्तर प्रदेश]],उत्तरी [[राजस्थान]] और पूर्व-उत्तरी भारत तक विस्तरित है। उत्तर प्रदेश में अहिच्छत्र,[[हस्तिनापुर]] [[कौशाम्बी जिला|,कौशांबी]],[[श्रावस्ती]],[[श्रंगवेरपुर|श्रृंगवेरपुर]],[[मथुरा ज़िला|मथुरा]] तथा बिहार में [[वैशाली|वैशाली,]] जम्मू में [[माँडा, जम्मू|मांडा,]] मध्यप्रदेश में [[उज्जैन का इतिहास|उज्जैन]], पंजाब में [[रोपड़|रोपड़,]]<nowiki/>राजस्थान में [[नोह]] और हरियाणाा में भगवानपुरा इस संस्कृति के प्रमुख स्थल हैं। इसका विस्तार क्षेत्र उत्तर में मांडा,दक्षिण में उज्जैन,पूर्व में [[तिलारकोट]]([[नेपाल का इतिहास|नेपाल]])और पश्चिम में [[लखियोपीर]] ([[सिंध]],पाकिस्तान) तक है। ऊपरी गंगा घाटी में यह संस्कृति अधिक संकेंद्रित है। मध्य और निचली गंगा घाटी में इस संस्कृति के स्थल सीमित मात्रा में पाए गए हैं जो बाद की अवधि के आरंभिक [[उत्तरी काली पोलीस वाले मृदभांड]] के सांस्कृतिक चरण से प्राप्त किए गए हैं। जिससेेे यह स्पष्ट होता है कि पूर्वी भारत में चित्रित धूसर मृदभांड संस्कृति का विस्तार देर से हुआ।
 
== संदर्भ ==