"अष्टांग योग": अवतरणों में अंतर

→‎यम: पातंजलयोगदर्शन के अनुसार अहिंसा सूत्र
→‎यम: पातंजलयोगदर्शन के अनुसार अस्तेय संबंधी सूत्र ।
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विचारों में सत्यता, परम-सत्य में स्थित रहना, जैसा विचार मन में है वैसा ही प्रामाणिक बातें वाणी से बोलना
 
(ग) '''अस्तेय''' - '''अस्तेयप्रतिष्ठायां सर्वरत्नोपस्थानम् ।।  पातंजलयोगदर्शन 2/37 ।।'''
(ग) '''अस्तेय''' - चोर-प्रवृति का न होना
 
अर्थात अस्तेय के प्रतिष्ठित हो जाने पर सभी रत्नों की उपस्थति हो जाती है ।
 
(ग) '''अस्तेय''' -अर्थात चोर-प्रवृति का न होना
 
(घ) '''ब्रह्मचर्य''' - दो अर्थ हैं-