"भारत-इज़राइल सम्बन्ध": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:India Israel Locator.svg|right|thumb|300px|भारत और इज़राइल]]
'''[[भारत]]-[[इज़राइल]] सम्बन्ध''' भारतीय लोकतंत्रभारत तथा इज़राइल राज्य के मध्य द्विपक्षीय संबंधोसम्बन्धों को दर्शातादर्शाते है।हैं। १९९२1992 तक भारत तथा इज़राइल के मध्य किसी प्रकार के सम्बन्ध नहीं रहे। इसके मुख्यतः दो कारण थे- पहला, भारत गुट निरपेक्ष राष्ट्र था जो की पूर्व [[सोवियत संघ]] का समर्थक था तथा दूसरे गुट निरपेक्ष राष्ट्रों की तरह इज़राइल को मान्यता नहीं देता था। दूसरा मुख्य कारण भारत [[फ़िलिस्तीनी राज्यक्षेत्र|फिलिस्तीन]] की आज़ादीस्वतन्त्रता का समर्थक रहा। यहाँ तक की १९४७1947 में भारत ने संयुक्त राष्ट्र फिलिस्तीन (उन्स्कोप) नमकनामक संगठन का निर्माण किया परन्तु १९८९1989 में [[कश्मीर]] में विवाद तथा सोवियत संघ के पतन तथा पाकिस्तान के गैर -कानूनी घुसपैठ के चलते राजनितिक परिवेश में परिवर्तन आया और भारत ने अपनी सोच बदलते हुए इज़राइल के साथ संबंधोसम्बन्धों को मजबूत करने पर जोर दिया और १९९२1992 मेंसे नएनया दौर की शुरुआतआरम्भ हुई।हुआ।
 
[[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] की हारपराजय के बादपश्चात [[भारतीय जनता पार्टी]] के सत्ता में आते ही भारत और इज़राइल के मध्य सहयोग बढ़ा और दोनों राजनितिक दलों की [[इस्लामी आतंकवाद|इस्लामिकइस्लामी कट्टरपंथकट्टरपन्थ]] के प्रति एक जैसे मानसिकता होने कीके वजहकारण से और मध्य पूर्व में यहूदी समर्थक नीति की वजह से भारत और इज़राइल के सम्बन्ध प्रगाढ़ हुए। आज इज़राइल, [[रूस]] के बाद भारत का सबसे बड़ा सैनिक सहायक और निर्यातक है।
 
[[चित्र:Beni-israel-india-2.jpg|thumb|right|300px|'''[[बेने इज़राइल]]''' (इज़राइल पुत्र) नामक यहूदी समूह जिसने १९४८1948 के बाद इज़राइल प्रस्थान करना आरम्भ किया।]]
 
== सैनिक तथा कूटनीतिक सम्बन्ध ==