"वैशेषिक दर्शन": अवतरणों में अंतर

छो न्याय एवं वैशेषिक दोनों एकमात्र ईश्वर को स्वीकारते हैं इसलिए यह जानकारी गलत थी
टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
No edit summary
टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
पंक्ति 127:
*(7) नैयायिकों के मत में पुण्य से उत्पन्न "स्वप्न" सत्य और पाप से उत्पन्न स्वप्न असत्य होते हैं, किंतु वैशेषिक के मत में सभी स्वप्न असत्य हैं।
 
*(
 
*(8) इनके अतिरिक्त कर्म की स्थिति में, वेगाख्य संस्कार में, सखंडोपाधि में, विभागज विभाग में, द्वित्वसंख्या की उत्पत्ति में, विभुओं के बीच अजसंयोग में, आत्मा के स्वरूप में, अर्थ शब्द के अभिप्राय में, सुकुमारत्व और कर्कशत्व जाति के विचार में, अनुमान संबंधों में, स्मृति के स्वरूप में, आर्ष ज्ञान में तथा पार्थिव शरीर के विभागों में भी परस्पर इन दोनों शास्त्रों में मतभेद हैं।