"इन्द्रिय": अवतरणों में अंतर

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मन, बुद्धि, चित्त और अहंकार के क्या काम है, इसे बताया गया।
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[https://www.satsangdhyan.com/2020/01/ls02-Santmat-Darshan-Book-Introduction.html संतमत दर्शन के अनुसार]<ref>{{Cite web|url=https://www.satsangdhyan.com/2020/01/ls02-Santmat-Darshan-Book-Introduction.html|title=LS02, 'संतमत दर्शन' में पृष्ठ 30 से 47 तक में इंद्रियों से संबंधित वर्णन है। --लालदास जी महाराज।|last=|first=|date=|website=सत्संग ध्यान विस्तृत चर्चा|archive-url=|archive-date=|dead-url=|access-date=2020-01-08}}</ref> इंद्रियां 14 है। पांच ज्ञानेंद्रियां- आंख, कान, नाक, जीभ और त्वचा; पांच कर्मेंद्रियां- हाथ, पैर, मुंह, गुदा और लिंग और चार अंतःकरण- मन बुद्धि चित्त और अहंकार।
 
सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के [https://satsangdhyan.blogspot.com/2021/05/what-is-mool-prakrti.htm महर्षि मेंहीं प्रवचन नंबर 128] में कहा गया है कि "सबको पंच ज्ञानेन्द्रियाँ हैं । आँख से रूप , कान से शब्द , जिभ्या से रस , नासिका से गंध और त्वचा से स्पर्श जानते हैं । '''इन्द्रियों ''का राजा मन है ।''''' मन पर बुद्धि का शासन है इसलिए बुद्धि तक इन्द्रियाँ मानते हैं '''मन संकल्प - विकल्प करता है''' बुद्धि उसको कहते हैं जिसमें विवेचना शक्ति है। '''अहंकार उसको कहते हैं , जिसमें अपनेपन का ज्ञान हो ।    चित्त ''उसको कहते हैं , जिसमें हिलाने - डुलाने की शक्ति हो । इसके हिलाए बिना मन संकल्प - विकल्प नहीं कर सकता है , बुद्धि विचार नहीं कर सकती और अहंकार का ' मैं हूँ ' ज्ञान नहीं हो सकता ।''''' चित्त इन तीनों को हिलाता है । "
 
[[न्याय दर्शन|न्याय]] के अनुसार इंद्रियाँ दो प्रकार की होती हैं :