"चित्रित धूसर मृद्भाण्ड संस्कृति": अवतरणों में अंतर

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[[गंगा नदी|गंगा]],[[सतलुज नदी|सतलुज]] तथा [[घग्गर-हकरा नदी|घग्गर-हकरा]] नदियों के मैदान इस संस्कृति के केंद्रीय स्थल हैं।यह संस्कृति भारत के [[पंजाब (भारत)|पंजाब]], [[हरियाणा का इतिहास|हरियाणा]], उत्तर-पूर्वी [[राजस्थान का इतिहास|राजस्थान]], [[उत्तर प्रदेश]], पूर्व-उत्तरी भारत, पाकिस्तान के [[सिंध]] और दक्षिणी [[पंजाब (पाकिस्तान)|पंंजाब]] तथा नेपाल के कुछ क्षेत्रों तक विस्तरित है। परंतु इसका सर्वाधिक संकेंद्रण पश्चिमी गंगा घाटी और पूर्वी घग्गर हकरा घाटी में है। उत्तर प्रदेश में अहिच्छत्र ,[[हस्तिनापुर]] [[कौशाम्बी जिला|,कौशांबी]] ,[[श्रावस्ती]] ,[[श्रंगवेरपुर|श्रृंगवेरपुर]] ,[[मथुरा ज़िला|मथुरा]] तथा बिहार में [[वैशाली|वैशाली,]] जम्मू में [[माँडा, जम्मू|मांडा,]] मध्यप्रदेश में [[उज्जैन का इतिहास|उज्जैन]], पंजाब में [[रोपड़|रोपड़,]]<nowiki/>राजस्थान में [[नोह]] और हरियाणाा में भगवानपुरा इस संस्कृति के प्रमुख स्थल हैं। इसका विस्तार क्षेत्र उत्तर में मांडा,दक्षिण में उज्जैन,पूर्व में [[तिलारकोट]] ([[नेपाल का इतिहास|नेपाल]]) और पश्चिम में [[लखियोपीर]] ([[सिंध]], पाकिस्तान) तक है। ऊपरी गंगा घाटी में यह संस्कृति अधिक संकेंद्रित है। मध्य और निचली गंगा घाटी में इस संस्कृति के स्थल सीमित मात्रा में पाए गए हैं जो बाद की अवधि के आरंभिक [[उत्तरी काली पोलीस वाले मृदभांड]] के सांस्कृतिक चरण से प्राप्त किए गए हैं। जिससेेे यह स्पष्ट होता है कि पूर्व-उत्तरी भारत में चित्रित धूसर मृदभांड संस्कृति का विस्तार सीमित रूप सेेे और बाद की अवधि में हुआ।
==कालक्रम==
==मृद्भाण्ड के प्रकार==
==लोहे का प्रयोग==
==समाज और संस्कृति==
==संस्कृति का अंत==
 
 
== संदर्भ ==