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'''मुंशी घाट''' [[वाराणसी]], [[उत्तर प्रदेश]], [[भारत]] में स्थित है।<ref>{{cite web |title=काशी के ठाठ ये गंगा के घाट : जीर्णोद्धार से मिली 'मुंशी' घाट को पहचान |url=https://m.jagran.com/lite/uttar-pradesh/varanasi-city-munshi-ghat-in-varanasi-near-river-ganga-18117305.html |website=दैनिक जागरण |accessdate=7 अप्रैल 2021 |language=hi}}</ref> वर्ष 1812 में निर्मित, '''मुंशी घाट''' का नाम [[श्रीधर नारायण मुंशी]] के नाम पर रखा गया है, जो [[नागपुर राज्य]] के [[वित्त मंत्री]] थें। वर्ष 1915 में [[दरभंगा|दरभंगा (बिहार)]] के राजा [[कामेश्वर सिंह गौतम बहादुर]] ने इस घाट को खरीदा और इसे बढ़ाया। विस्तार के बाद यह '''दरभंगा घाट''' के रूप में भी जाना जाने लगा। घाट के महल, राम जानकी मंदिर, नारायण स्वामी मंदिर, शिव मंदिर आस्था के केंद्र माने जाते है।<ref>{{Citation | url =https://docs.google.com/viewer?url=http%3A%2F%2Fvdavns.org%2Fdata%2Fproposing_varanasi.pdf | title = Proposing Varanasi for the World Heritage List of UNESCO| publisher = Varanasi Development Authority}}</ref>
 
==लोकप्रियता और विस्तार==
'''मुंशी घाट''' का महल [[चुनार]] के बलुआ पत्थरों से बना है, जिसमें सुंदर बरामदे और यूनानी स्तंभ हैं। पौराणिक संदर्भों में भी इस क्षेत्र का महत्व रहा है, लेकिन इसकी भव्यता और स्थापत्य शैली के लिए यह सबसे लोकप्रिय है।
 
1994 में '''मुंशी महल''' को क्लार्क्स होटल समूह द्वारा खरीदा गया था, जिसने इसे ''ब्रजरामा पैलेस'' नाम दिया था और इसे पांच सितारा होटल में बदलने की योजना बनाई थी। इससे इसकी ऐतिहासिक भव्यता प्रभावित हुई है।<ref>{{Citation | author = Singh, Rana P.B., Vrinda Dar and S. Pravin | title =Rationales for including Varanasi as heritage city in the UNESCO World Heritage List | publisher = National Geographic Journal of India (varanasi) 2001, 47:177-200 }}</ref>