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इसमें पुराणों के आधार पर तथ्य रखे गए हैं
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===प्रारंभिक ऋगवेदिक आदिम जाति मुख्यधारा===
ऋग्वैदिक कालीन शासन प्रणाली में सम्पूर्ण कबीले का प्रमुख "राजन" कहलाता था व राजन की पदवी वंशानुगत नहीं होती थी। कबीले की समिति जिसमें महिलाएं भी भागीदार होती थीं, राजा का सर्व सहमति से चयन करती थी। कबीले के जन व पशुधन (गाय) की रक्षा करना राजन का कर्तव्य था। राजपुरोहित राजन का सहयोगी होता था। प्रारंभिक दौर में अलग से कोई सेना नहीं होती थी परंतु कालांतर में शासक व सैनिकों के एक पृथक वर्ग का उदय हुआ। उस समय समाज के चार वर्णों में विभाजन की प्रणाली नहीं थी। प्राचीन काल में अहीर जाति के लोग ही गाय पालन करते थे। समय के साथ जब विदेशी नशले भारत आयी तो उन्होंने पाया कि ये भारत काफी विस्तृत और संपन्न है बाद में ये विदेशी ही राजपूत और क्षत्रिय कहे जाने लगे। अब भी ये ख़ुद को राजपूत और कुलीन ही मानते है <ref name=raj>{{cite book|last=शर्मा |first=राम शरण |title=इंडियास अंसिएंट पास्ट (India's ancient past)|year=2005|publisher=ऑक्सफोर्ड युनिवेर्सिटी प्रैस|location=the University of Michigan|isbn= 9780195667141|pages=110–112}}</ref>
 
===उत्तर वैदिक काल===