"ख़ैबर की लड़ाई": अवतरणों में अंतर

इस्लामी पैग़म्बर मुहम्मद के भाई और चौथे खलीफ़ा अली was Corrected with इस्लामी पैग़म्बर मुहम्मद के चचेरे भाई और चौथे खलीफ़ा अली
टैग: Reverted मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
मरने के बाद was replaced by स्वर्गवास
टैग: Reverted मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
पंक्ति 1:
'''ख़ैबर का युद्ध''' ( सन् 629, मई) इस्लाम के प्रारंभिक इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना थी जिससे शुरुआती मुसलमानों और [[हिजाज़]] के [[यहूदी|यहूदियों]] के बीच के निर्णायक युद्ध के रूप में देखा जाता है जिसमें यहूदियों ने हथियार डाल दिये थे। इस लड़ाई में इस्लामी पैग़म्बर मुहम्मद के चचेरे भाई और चौथे खलीफ़ा [[अली इब्न अबी तालिब|अली]] की बहादुरी भी स्मरणीय थी।
 
यहूदियों के साथ हुई एक पिछली संधि का यहूदियों द्वारा उल्लंघन करने से इस्लामी पक्ष ख़फ़ा थे। पहले [[अबु बक्र|अबू बकर]] और [[उमर]] को इसके ख़िलाफ़ भेजा गया, लेकिन उनकी असफलता के बाद अली के नेतृत्व में सेना भेजी गई जिसमें निर्णायक विजय प्राप्त हुई। ध्यान रहे कि पैग़म्बर के मरनेस्वर्गवास के बाद, पहले भेजे गए सेनानायक - अबू बकर और उमर - पहले और दूसरे ख़लीफ़ा (प्रधान) बने, लेकिन अली को चौथा ख़लीफ़ा बनाया गया। इस लड़ाई का इस कारण [[शिया-सुन्नी विवाद]] में भी महत्व है, क्योंकि शिया पहले वाले दोनो नायकों को वाजिब खलीफ़ा नहीं मानते और अली से ही गिनती शुरु करते हैं।
 
{{इस्लाम-आधार}}