"इस्लाम के सम्प्रदाय एवं शाखाएँ": अवतरणों में अंतर
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[[चित्र:Islam branches and schools.svg|center|500px|thumb|इस्लाम के विविध सम्प्रदाय एवं शाखाएँ]]
तिरमिज़ी शरीफ़ की जिस हदीस मे लिखा है कि 73 मे से "एक फिरका" (मिल्लत) जन्नत मे जाएगी
= इस्लाम का विभाजन =
इस्लाम के पूर्व से ही अरब के लोग दूसरों को लूटने और आपसी शत्रुता के कारण लड़ते रहते थे .लेकिन मुसलमान बन जाने पर उनको लड़ने और हत्याएं करने के लिए धार्मिक आधार मिल गया .वह अक्सर अपने विरोधियों को मुशरिक ,मुनाफिक और काफ़िर तक कहने लगे और खुद को सच्चा मुसलमान बताने लगे .और अपने हरेक कुकर्मों को कुरान की किसी भी आयत या किसी भी हदीस का हवाला देकर जायज बताने लगे .धीमे धीमे सत्ता का विवाद धार्मिक रूप धारण करता गया .मुहम्मद की मौत के बाद ही यह विवाद इतना उग्र हो गया की मुसलमानों ने ही मुहम्मद के दामाद अली ,और उनके पुत्र हसन हुसैन को परिवार सहित क़त्ल कर दिया .उसके बाद ही इस्लाम के टुकडे होना शुरू हो गए .जिसके बारे में खुद मुहम्मद ने भविष्यवाणी की थी .-
१) "अबू हुरैरा ने कहा कि,रसूल ने कहा था कि यहूदी और ईसाई तो 72 फिरकों में बँट जायेंगे ,लेकिन मेरी उम्मत 73 फिरकों में बँट जाएगी ,और सब आपस में युद्ध करेंगे "'''अबू दाऊद-जिल्द 3 किताब 40 हदीस 4579'''
२) "अबू अमीर हौजानी ने कहा कि ,रसूल ने मुआविया बिन अबू सुफ़यान के सामने कहा कि ,अहले किताब (यहूदी ,ईसाई ) के 72 फिरके हो जायेंगे ,और मेरी उम्मत के 73 फिरके हो जायेंगे ..और उन में से 72 फिरके बर्बाद हो जायेंगे और जहन्नम में चले जायेंगे .सिर्फ एक ही फिरका बाकी रहेगा ,जो जन्नत में जायेगा "'''अबू दाऊद -जिल्द 3 किताब 40 हदीस 4580''' .
३) "अबू हुरैरा ने कहा कि ,रसूल ने कहा कि ,ईमान के 72 से अधिक टुकडे हो जायेंगे ,और मुसलमानों में ऐसी फूट पड़ जाएगी कि वे एक दुसरे कीहत्याएं करेंगे ."
'''अबू दाऊद -जिल्द 3 किताब 40 हदीस 4744''' .
४) "अरफजः ने कहा कि मैं ने रसूल से सुना है ,कि इस्लाम में इतना बिगाड़ हो जायेगा कि ,मुसलमान एक दुसरे के दुश्मन बन जायेंगे ,और तलवार लेकर एक दुसरे को क़त्ल करेंगे "'''अबू दाऊद -जिल्द 3 किताब 40 हदीस 4153 .'''
५) "सईदुल खुदरी और अनस बिन मालिक ने कहा कि ,रसूल ने कहा कि ,पाहिले तो मुसलमान इकट्ठे हो जायेंगे ,लेकिन जल्द ही उनमें फूट पड़ जाएगी .जो इतनी उग्र हो जाएगी कि वे जानवरों से बदतर बन जायेगे .फिर केवल वही कौम सुख से जिन्दा रह सकेगी जो इनको इन को ( नकली मुसलमानों )को क़त्ल कर देगी .फिर अनस ने रसूल से उस कौम की निशानी पूछी जो कामयाब होगी .तो रसुलने बताया कि,उस कौम के लोगों के सर मुंडे हुए होंगे .और वे पूरब से आयेंगे "'''अबू दाऊद-जिल्द 3 किताब 40 हदीस 4747 .'''
= इस्लाम के प्रमुख फिरके =
आमतौर पर लोग मुसलमानों के दो ही फिरकों शिया और सुन्नी के बारे में ही सुनते रहते है ,लेकिन इनमे भी कई फिरके है .इसके आलावा कुछ ऐसे भी फिरके है ,जो इन दौनों से अलग है .इन सभी के विचारों और मान्यताओं में इतना विरोध है की यह एक दूसरे को काफ़िर तक कह देते हैं .और इनकी मस्जिदें जला देते है .और लोगों को क़त्ल कर देते है .शिया लोग तो मुहर्रम के समय सुन्नियों के खलीफाओं ,सहबियों ,और मुहम्मद की पत्नियों आयशा और हफ्शा को खुले आम गलियां देते है .इसे तबर्रा कहा जाता है .इसके बारे में अलग से बताया जायेगा .
'''सुन्नियों के फिरके''' -हनफी ,शाफई,मलिकी ,हम्बली ,सूफी ,वहाबी ,देवबंदी ,बरेलवी ,सलफी,अहले हदीस .आदि -शियाओं के फिरके -इशना अशरी ,जाफरी ,जैदी ,इस्माइली ,बोहरा ,दाऊदी ,खोजा ,द्रुज आदि
'''अन्य फिरके''' -अहमदिया ,कादियानी ,खारजी ,कुर्द ,और बहाई अदि.
इन सब में इतना अंतर है की ,यह एक दुसरे की मस्जिदों में नमाज नहीं पढ़ते .और एक दुसरे की हदीसों को मानते है .सबके नमाज पढ़ने का तरीका ,अजान ,सब अलग है .इनमे एकता असंभव है .संख्या कम होने के से यह शांत रहते हैं ,लेकिन इन्हें जब भी मौका मिलाता है यह उत्पात जरुर करते हैं .
== इन्हें भी देखें==
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