करौली की स्थापना 955 ई. के आसपास जादौन वंश के राजा विजय पाल ने की थी जिनके बारे में कहा जाता है कि वे भगवान [[कृष्ण|कृष्ण]] के वंशज थे।एक समय [[जलेसर]] व [[करौली]] राज्यों पर जादौन राज परिवारों का शासन रहा है। इनका निकास मथुरा के [[यादव]]यदुवंशी क्षत्रिय शासक ब्रह्मपाल [[अहीर]] से है।{{citation needed}} 1818 में करौली राजपूताना एजेंसी का हिस्सा बना। 1947 में भारत की आजादी के बाद यहां के शासक महाराज गणेश पाल देव ने भारत का हिस्सा बनने का निश्चय किया। 7 अप्रैल 1949 में करौली भारत में शामिल हुआ और राजस्थान राज्य का हिस्सा बना।करौली का सिटी पेलेस राजस्थान के प्रमुख पर्यटक स्थलों में से एक है। मदन मोहन जी का मंदिर देश-विदेश में बसे श्रृद्धालुओं के बीच बहुत लोकप्रिय है। अपने ऐतिहासिक किलों और मंदिरों के लिए मशहूर करौली दर्शनीय स्थल है। करौली में मुख्यता मीणा जाति बाहुल्य हैं करौली के राजा को यहां के मच्या मिनाओं के प्रतिरोध का सामना करना पड़ा और वह इनके कारण करौली के राज्य क्षेत्र का विस्तार नहीं कर पाया यहां के मीणा हमेशा ही उग्र और स्वछंद प्रवृति के थे जिन्होंने कभी हार स्वीकार नहीं की।