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प्रोटोजोआ -प्रॉटोजोआ के प्राणी बहुत ही सूक्ष्म ,एइक्कोशिकिय या अकोशिकिय होते है। इन्हें प्राथमिक जंतु भी कहते है।
'''प्रजीवगण''' (प्रोटोज़ोआ) एक एककोशिकीय जीव है। इनकी कोशिका [[सुकेन्द्रिक|यूकरयोटिक]] प्रकार की होती है। ये साधारण [[सूक्ष्मदर्शी|सूक्ष्मदर्शी यंत्र]] से आसानी से देखे जा सकते हैं। कुछ प्रोटोज़ोआ जन्तुओं या मनुष्य में रोग उत्पन्न करते हैं, उन्हे रोगकारक प्रोटोज़ोआ कहते हैं।
 
प्रोटोज़ोआ ऐसे प्राणियों का संघ है जिसके सभी प्राणी एककोशिक होते हैं। आकारिकी (morphology) और क्रिया की दृष्टि से इस संघ के प्राणी की कोशिका पूर्ण होती है, अर्थात्‌ एककोशिका जनन, पाचन, श्वसन तथा उत्सर्जन इत्यादि सभी कार्य करती है। प्रोटोज़ोआ इतने सूक्ष्म होते हैं कि इन्हें नंगी आँखों से देखना संभव नहीं है। समुद्री जल में और बँधे हुए मीठे जल में असंख्य प्रोटोज़ोआ मिलते हैं। ये अकेले या निवह (समूह, colony) में रहते हैं। प्रोटोज़ोआओ में ऊतक नहीं होता। इनकी ऊतकहीनता ही निवह में रहनेवाले कोशिका समुच्यय को मेटाज़ोआ (metazoa) से पृथक्‌ करती है। अब तक लगभग 30,000 किस्म के प्रोटोज़ोआ ज्ञात हैं।
सामान्य लक्षण -
(१)-ये बहुत ही सूक्ष्म,एक कोशिकीय एवम् सूक्ष्मदर्शी की सहायता से दिखाई देते है।
(२)-सरल एवम् प्राथमिक जंतु है
 
 
 
 
 
 
 
प्रोटोज़ोआ में अलैंगिक एवं लैंगिक दोनों प्रकार से जनन क्रिया होती है। अलैंगिक जनन भी दो प्रकार से होता है : (1) सरल द्विविभाजन (simple binary fission) और (2) बहुविभाजन (multiple fission) द्वारा।